पृष्ठ

रविवार, 13 अगस्त 2023

शान्ति का सूरज

महेश राठी 

 

जला दिये गये थानों, दफ्तरों

लूटी गयी गोलियों, बंदूकों की नाल से

उगेगा शान्ति का सूरज 

निर्वस्त्र औरतों की परेड

उनके सामूहिक बलात्कार से

उगेगा शान्ति का सूरज

बंद स्कूलों की खिडकियों,

ध्वस्त मंदिरों की दिवारों,

जले चर्चों की सलीबों से उतर

उगेगा शान्ति का सूरज

राज्य और देश की राजधानियां 

जब डरायेंगीं नागरिकों को 

तो उग आयेगा शान्ति का सूरज  

लहू से तर बतर हो जायेगी

जब हर जिंदगी, हर सांस, 

हर बस्ती, हर शहर

पूरा सूबा जब भर जायेगा सन्नाटे से

तो उस सुनसान भूखण्ड़ पर

उगेगा फिर शान्ति का सूरज

नहीं तो, 

जलती लाशों की होलियों के बीच

जुमले, चुटकुले, किस्से-कहानियां सुनाता

नई पोशाक बदल, इतराता, इठलाता राजा

संसद का एकदिनी नेता

पकड लायेगा शान्ति का सूरज

और उसे उगा देगा मणिपुर के आसमान पर   

शनिवार, 11 अप्रैल 2020

खिलाई बिरयानी, जुटाई भीड, लाॅकडाउन की उडाई धज्जियां



सारे टीवी चैनल और समाचार माध्यमों का निशाना लगातार तब्लीगी जमाती ही हैं परंतु भगवा गिरोह यदि वही करतूतें करे तो यह तथाकथित राष्ट्रवादी और बिकाउ मीडिया खामोश हो जाता है और लाॅकडाउन की धज्जिया उडाने वालों पर ना एनएसए लगाने और ना ही मुकदमें की मांग करता है। 

सोशल डिस्टेंसिंग के तमाम नियमों की धज्जियां उडाते हमने पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी को देखा उससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री को अपने एक मंत्री की बेटी की शादी में ठीक वही करते हुए पाया गया था और अब कर्नाटक भाजपा के एक विधायक एम जयराम ने अपना जन्म दिन मनाते हुए सरेआम देखा गया। उन्होंने भीड में बगैर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का मखौल उडाते हुए अपना जन्मदिन मनाया और गांव के लोगों को आमंत्रित करकेे बिरयानी की दावत दी।

वही बिरयानी गांव भर को खिलाई जिस बिरयानी का इस्तेमाल पूरा भगवा गिरोह अल्पसंख्यकों को प्रतीकात्मक रूप से निशाना बनाने के लिए करता है। उसी भगवा गिरोह के एक विधायक ने गांव भर को बिरयानी खिलाने की दावत दी और सरेआम सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उडाई। 

दरअसल, यह भगवा गिरोह का असली चेहरा है, बिरयानी के बगैर वे लाॅकडाउन में भी नही रह सकते हैं। और वे कोरोना को किस तरह से एक सेलिब्रेशन बना रहे उनकी लगातार दावतों से पता चलता है। 
यही नही कोरोना के लिए जरूरी बचाव में भी कैसे भाजपा के नेता फैशनपरस्ती कर रहे हैं, उससे भी जाहिर हो जाता है कि वे इस माहामरी को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं। कोरोना का पहला मामला भारत में 30 जनवरी को केरल में आया तो केरल ने उससे निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी परंतु भाजपा नेता और पीएम के लिए ट्रंप का चुनाव प्रचार जरूरी था। उसके बावजूद भी जब कोरोना पूरी तरह से भारत की चैखट पर पहुँच चुका था तो भी भाजपा नेतृत्व मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिराने और भाजपा सरकार बनवाने में लगा था और लाॅकडाउन एंव अन्य सुरक्षात्मक उपायों को लगातार टाले जा रहा था। 
उसके बाद सबसे दिलचस्प काम किया मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चैहान ने वो किसी भी मींटिंग अथवा प्रेस के सामने आये तो हर बार नये रंग का और पोशाक से मैचिंग मास्क लगाकर आये। 

मानो दुनिया में भयानक बीमारी नही किसी फैशन परेड की तैयारियां चल रही हैं। इन नेताओं की करतूतों से समझा जा सकता है कि कितनी चिंता इनको इस भयावह खतरे की है। शायद उन्हें अभी तक समझ ही नही आ रहा है कि यह आधुनिक मानव इतिहास का सबसे बडा संकट है। कोरोना अभी आया ही है, यह अब जाने वाला भी नही है।   

शनिवार, 4 अप्रैल 2020

क्या है सोशल डिस्टेंसिंग और यह क्यों है जरूरी?


कोरोना वायरस की महामारी दुनिया भर को दहशत से भर रही है, दुनिया में कोरोना के बढते मामले दुनिया में सभी की चिंता का कारण बन रहे हैं। कोरोना का इलाज ढूंढने के लिए दुनियाभर के डॉक्टर और वैज्ञानिक रिसर्च में लगे हुए हैं। दुनिया में बढ़ते मामलों को देखते हुए लोगों से सावधानियां बरतने की अपील की जा रही है। कोरोना के लेकर बरती जा रही सावधानियों में सोशल डिस्टेंसिंग को सबसे अहम माना जा रहा है। सोशल  डिस्टेंसिंग का अर्थ है सामाजिक दूरी बनाना। इसी सोशल डिस्टेंसिंग को बनाये रखने के लिए 31 मार्च तक शिक्षण संस्थान बंद रखने सहित धर्म, कारोबार, यात्राओं आदि को स्थगति रखने और देश के पैमाने पर लाॅकडाउन के निर्देश सरकार ने जारी किये है। हालांकि ऐसा करने में कुछ देरी भी हो चुकी है फिर भी सोशल डिस्टेंसिंग एक ऐसा उपाय है जिससे हम काफी हद तक इस महामारी पर काबू पा सकते हैं। आइये, अब जानते हैं कि ये सोशल डिस्टेंसिंग क्या है? जिसके जरिए कोरोना वायरस को काबू में करने के बारे में कहा जा रहा है।

क्या है सोशल डिस्टेंसिंग?

सोशल डिस्टेंस का अर्थ है भीड़ में लोगों से दूरी बनाए रखना। इसके अलावा एक जगह एकत्रित होने से बचना। कोरोना से बचने के लिए दुनियाभर के स्वास्थ्य विभाग शुरू से ही भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने की अपील कर रहे हैं। सामाजिक आयोजनों में लोगों की भीड़ होती है और सबकी स्क्रीनिंग यानी कि जांच करना मुश्किल होता है। ऐसे में भीड़ वाली जगह में संक्रमित व्यक्ति के पहुंचने से दूसरे लोगों को भी संक्रमण का डर बना रहता है।
भीड़ में यह पता लगाना मुश्किल होता है कि कौन बस, मेट्रो या ट्रेन से आ रहा है या फिर कहीं पहले से वह कहीं से संक्रमित होकर तो नहीं आ रहा? ऐसे में सोशल डिस्टेंस यानी सामाजिक दूरी बनाए रखना बेहतर विकल्प है। हम सभी का दायित्व है कि लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में जागरूक करें। उन्हें बड़ी भीड़ जुटने के खतरे बताएं, जमा हुए लोगों में एक मीटर की दूरी सुनिश्चित करवाएं। सभी व्यावसायिक गतिविधियों में ग्राहकों के बीच एक मीटर की दूरी रखवाएं।

सार्वजनिक स्थलों पर है सोशल डिटेंसिंग का पालन करवाना 

-सब्जी-अनाज मंडियों, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन, आदि में जागरुकता अभियान चलाएं। 

-ऑनलाइन या बाजार से सामान और सेवाओं की डिलीवरी देने वालों को संक्रमण से विशेष सुरक्षा दिलवाने के लिए विशेष प्रबंध किये जाएं। 

-उन जगहों को लगातार साफ करवाएं, जहां लोग बार-बार हाथ लगाते हैं। खाने की टेबलों के बीच कम से कम एक मीटर की दूरी रखें। संभव हो तो खुले में बैठने की व्यवस्था करें। 

-आम नागरिक पहले से तय शादियों में मेहमानों की संख्या सीमित करें।

-कोई सामाजिक या सांस्कृतिक आयोजन जरूरी नहीं हो तो आयोजन से बचे अन्यथा  भागीदारी से बचें। 

-खेल आयोजकों से क्षेत्रीय अधिकारी बात करें। भीड़ न जमा होने दें, संभव हो तो आयोजन टालें। 

-सोशल डस्टिेंस को प्रभावी बनाने के लएि बहुत जरुरी है कि जहां तक हो सकें घर पर रहें। इससे कोरोना वायरस के खतरे को कम किया जा सकता है। 

-वर्क फ्राम होम जैसी सुविधाओं के जरिए घर पर रहें और ट्रेवल कम करें।

शुक्रवार, 24 जनवरी 2020

हर शहर, हर बस्ती, प्रतिरोध की नई इबारत शाहीनबाग

महेश राठी

शाहीन बाग की औरतें भारतीय लोकतंत्र को प्रतिरोध की नयी भाषा पढा रही हैं, वे अपनी घरेलू जिम्मेदारियों और सामाजिक जवाबदेही के नये संतुलन की नई परिभाषा ना केवल हमारे लोकतंत्र के लिए गढ़ रही हैं बल्कि भारत के नारी समाज के संघर्षों के इतिहास के आसमान पर मानो एक नया चमकीला सितारा भी जड रही हैं। आज जब समाज का बहुमत हिस्सा अपने अधिकारों की लड़ाई से इसलिए मुंह मोड लेता ही कि वह थोडा सी भी सुविधा से निकलना नही चाहता है, तो ऐसे समय में शाहीन बाग की औरतों का घर की जिम्मेदारियों और समाजिक जवाबदेही का यह संतुलन बेजोड है, अदभुत है। और शाहीन बाग का यह संघर्ष उसी तरह से पूरे देश की आवाम को संघर्षों के लिए प्रशिक्षित कर रहा है जैसे कि मादा शाहीन (मादा बाज) अपने नवजात बच्चे को प्रशिक्षित करती है और कमाल यह है कि शाहीन के यह बच्चे भी बेजोड तरीके से सीखकर देश के हरेक शहर हरेक बस्ती में अपना एक शाहीन बाग बनाने को बेताब नजर आ रहे हैं।


जामिया मिल्लिया इस्लामिया में दिल्ली पुलिस ने अपने जिस रंग और ढंग का भौंडा प्रदर्शन किया कोई सोच भी नही सकता था कि उसका प्रतिकार जामिया से लगा शाहीन बाग इस तरह करेगा कि वह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक मील का पत्थर बन जायेगा। जामिया में पुलिसिया बर्बरता के बाद शाहीन बाग में इलाके की महिलाओं ने इस सरकारी बर्बरता और उनकी पहचान पर भगवा हमले का जवाब देने का यह सत्याग्रही तरीका निकाला और वो अपनी दादियों के नेतृत्व में सड़क पर उतर आयी। आज उनके चेहरे पर नकाब नही दृढ निश्चिय है, दृढ निश्चिय लडने का और जीतने का। 15 दिसंबर से शुरू हुआ आंदोलन आज जामिया के इलाके से निकलकर पूरे देश में फैल चुका है। जामिया के शाहीन बाग से उठी लडाई की यह चिंगारी आज पूरे देश में फैल रही है और हरेक खत्म होते दिन के साथ विरोध का यह जन सैलाब थम नही रहा है बल्कि फैल रहा है बढ़ रहा है।
इंद्र लोक मेट्रो स्टेशन दिल्ली


देश के विभिन्न शहरों में लगभग 40 से भी अधिक जगहों पर शाहीन बाग जैसे धरने प्रदर्शनों की श्ुारूआत हो चुकी और एक शहर, देश की राजधानी दिल्ली में ही एक दर्जन के लगभग जगहों पर शाहीन बाग सर उठा चुका है।
दिल्ली का खुरेजी 

शाहीन बाग, सीलमपुर-जाफराबाद, चांदबाग, मुस्ताफाबाद, वजीराबाद, खुरेजी, सुंदर नगरी, श्रीराम कालोनी, कर्दम पुरी, तुर्कमान गेट, इन्द्रलोक मेट्रो स्टेशन आदि दिल्ली की ऐसी बस्तियां हैं जहां शाहीनबाग सर उठा चुका है।

इसके अलावा भी देश के अन्य शहरों में शाहीन बाग जन्म ले रहा है और कह रहा है कि शाहीन बाग एक धरना नही बल्कि भारतीय लोकतंत्र में प्रतिरोध की एक नयी और अनौखी अवधारणा है।
शान्तिबाग, गया (बिहार)

30 दिसंबर से शुरू हुआ गया का शाहीन बाग आंदोलन 24 से भी अधिक दिन पार कर चुका है। 20 जनवरी 2020 को शान्ति बाग में सीएए और एनआरसी के खिलाफ चल रहे महिलाओं के अनिश्चतकालीन धरने में भाग लेने के लिए भाकपा की राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर पहंुची और उन्होंने शान्ति बाग में संविधान मोर्चे के बैनर तले चल रहे धरने को संबोधित करते हुए देश के अल्पसंख्यकों और धरनाधारियों के साथ एकजुटता का इजहार किया। उनके अलावा एआईवायएफ के अध्यक्ष आफताब आलम भी इस मौके पर मौजूद थे। इस मौके पर पूर्व मंत्री और राजद नेता कांति सिंह और पूर्व उप सभापति परवेत सलीम ने भी सीएए कानून को सांपद्रायिकता बढ़ाने वाला और देश विरोधी बताया।

नवादा

सीएए और एनआरसी के खिलाफ जहां देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं तो वहीं नवादा के बुंदेल बाग में भी सीएए के विरोध में धरने की शुरूआत हुई है। इस धरने में शामिल होने के लिए नवादा के अकबरपुर से बडी संख्या में लोग 18 किलो मीटर का मार्च करके बुंदेल बाग के धरने में शामिल होने के लिए पहंुचे।
अररिया

देश में सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ चल रहे आंदोलन के तहत अररिया में बीते सात जनवरी से धरना दिया जा रहा है। हम हैं भारत के बैनर तले यह धरना कार्यक्रम पहले शहर के चांदनी चैक स्थित कारगिल पार्क में चल रहा था लेकिन प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद अब सोमवार से यह धरना टाउन हाॅल के पीछे चल रहा है।
इसके अलावे शहर सहित जिले में सीएए के खिलाफ हर दिन रैली, सभा, गोष्ठियों का सिलसिला चलता रहा है। हम हैं भारत के समन्वयक जाहिद अनवर ने कहा कि 22 जनवरी तक धरना कार्यक्रम तय है। 22 को कोर्ट का निर्णय आने वाला है। कोर्ट के निर्णय सीएए को निरस्त करने का नहीं आने पर आगे भी धरना जारी रहेगा। एनपीआर, एनआरसी व सीएए विरोधी संघर्ष मोर्चा व अररिया महिला नागरिक मंच संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है।
रक्सौल, बिहार

सीएए, एनपीआर व एनआरसी का विरोध में जमीयतूल उलमा ए हिंद तथा संविधान बचाओ मोर्चा के सदस्यों ने लक्ष्मीपुर स्थित मुख्य पथ के समीप बैठ कर शुक्रवार से अनिश्चित कालीन धरना-प्रदर्शन की शुरुआत की। धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे पूर्व प्रमुख असलम ने कहा कि यह कानून देश हित में नहीं है। सरकार इस कानून को जल्दी बाजी में लाया है। 
शान्ति बाग के अलावा पटना के सब्जी बाग, यजिसे संबोधित करने भाकपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यकन्हैया कुमार और उनके अलावा भाकपा के कईं नेता पहंुचेद्ध बेगूसराय, नवादा, किशनगंज के बहादुरगंज और गोपालगंज में धरने पर महिलाएं और पुरूष जमे हुए हैं। बिहार से आने वाली खबरों में यहां तक बताया जा रहा है कि बिहार के लगभग हर जिले में इस तरह के प्रतिरोध धरने शुरू हो चुके हैं यहां तक कि कईं जिलों में तो एक से ज्यादा धरने शुरू हुए हैं।
कौंधवा का कौसरबाग, पुणे

10 जनवरी से कुल जमाते तंजीम के बैनर के नीचे 2000 से अधिक महिलाओं ने एकत्र होकर इस विरोध धरने और प्रदर्शन की शुरूआत की। रोजना 2 हजार से अधिक महिलाएं इस धरने विरोध में शामिल होती हैं। यहां पर मुम्बई फिल्म उद्योग से जुडे हुए लोग विशेषकर अभिनेत्री स्वरा भास्कर आकर प्रदर्शन में शामिल महिलाअें के साथ अपनी एकजुटता का इजहार कर चुकी हैं। इस धरने के आयोजनकर्ताओं में से एक डाॅ. अमना रहमान ने बताया कि मोदी सरकार के आने के बाद जिस तरह से बीफ के नम पर मोब लिंचिंग की घटनाओं में इजाफा हुआ था और एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया जा रहा था तो तब हम इसलिए चुप थे कि हमने समझा था कि यह एक समुदाय विशेष का ही मामला है परंतु अबकी बार सीएए के नाम पर सरकार ने संविधान पर चोट की है तो अबकी बार चुप रहना मुश्किल था। इसीलिए हम सड़कों पर उतरे और कहा कि ऐसा नही होने देंगे।
अपनी तीन महीने की बेटी के साथ धरने में शामिल अफीदा सैयद ने कहा कि हम इसलिए घर में नही बैठ सकते थे कि हमारे बच्चे छोटे हैं। आज हम चुप बैठे तो कल इन बच्चों के भविष्य का क्या होगा, आखिर यह हामरे बच्चों के भविष्य की लड़ाई है और हम भारत के नगारिक होने के नाते भारतीय होने के नाते इसे लडेंगे। दो हजार महिलाओं के अलावा इतनी ही संख्या में पुरूष भी इस मौके पर मौजूद थे और रात के समय भी भारी संख्या में पुरूष महिलाओं की हिफाजत के लिए भारी तादाद में मौजूद रहते हैं।
मुम्बई शाहीन बाग
दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर मुम्बई में भी 20 जनवरी से धरने प्रदर्शन का दौर शुरू हुआ है। अभी पुलिस ने 3 दिन के धरने को इजाजत दी है परंतु आयोजनकर्ताओं के कहना है कि धरना अनिश्चितकाल के लिए चलेगा और बाद में इसे भिवंडी में चलाया जा सकता है। धरने में शामिल धरनाधारियों का कहना है कि यह धरना शाहीन बाग के आंदोलन के प्रेरित होकर शुरू किया गया है और जब तक सरकार सीएए कानून वापस नही ले लती है तब तक यह प्रतिरोध जारी रहेगा। धरने में शामिल लोग सीएए, एनआरसी और एनपीआर का विरोध कर रहे हैं।
घंटाघर, लखनऊ

कईं दिनों से आंदोलनरत महिलाओं पर योगी पुलिस ने कईं तरह से कहर बरपाने की कोशिशें की है। यहां का नजारा देखकर कोई भी इंसान शर्मसार हो जायेगा। उत्तर प्रदेश के योगी की पुलिस ने मानवता को तार तार करते हुए घंटाघर पर रात गुजार रहीं प्रदर्शनकारी महिलाओं से कंबल और खाने का सामान तक छीन लिया और रात में जल रहे अलाव में पानी डाल दिया। इससे पहले रविवार को यहां धरने पर बैठी बच्चियों ने पुलिसकर्मियों को फूल देकर उनका सहयोग मांगा। हाथों में गुलाब लेकर बच्चियां... पुलिस हमसे बात करो, न कि घूसा लात करो का नारा लगा रही थीं। बीती रात पुलिस द्वारा कंबल छीन अलाव में पानी डालने को लेकर महिला प्रदर्शनकारियों ने कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस उनकी आवाज को दबाने के लिए तरह-तरह से जुल्म कर रही है। पार्क में बने शौचालय में ताला डालने के बाद पुलिस प्रदर्शनकारियों से उनके कंबल छीन रही है। इसके अलावा खाना देने वाले उनके लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर धमका रही है।
जेल से छूटे रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शोएब भी प्रदर्शनकारी महिलाओं के समर्थन में घंटाघर पार्क पहुंचे। प्रदर्शन में शामिल सुमैया राना व इरम रिजवी ने बीती रात पुलिस की बर्बरता पर कड़ा एतराज जताया। उन्होंने कहा कि पुलिस शांतिपूर्ण धरने को हिंसात्मक बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने पुलिस पर प्रदर्शनकारी महिलाओं के साथ अभद्रता करने का भी आरोप लगाया। वहीं, पुलिस ने सभी आरोपों को खारिज किया है। पूर्व आइपीएस दारापुरी समेत सदफ जाफरी और कई बड़े एक्टिविस्ट भी इस मुहिम में शामिल हो गए हैं। 
इलाहाबाद

हर शहर में उगते प्रतिरोध के बीच इलाहाबाद ने भी विरोध के सुरो में अपनी आवाज मिलायी है। सैंकडों औरते आदमी यहां के विरोध की कमान संभाले हुए हैं। औरते दिनभर और रात भर धरने में शामिल होती हैं सुबह उषा काल में अपने घर जाती हैं अपने रोजमर्रा के काम मसलन कि घर का खाना बनाना बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करके स्कूल भेजना और घर के दूसरे जरूरी काम काज निपटाकर फिर से विरोध की आवाज बुलंद करने के लिए लौट आती हैं। पांच साल के अपने बच्चे को गोद में थामे राशिदा कहती हैं कि जब दिल्ली की कडकडाती ठंड में शाहीन बाग की औरते यह हौसला दिखा सकती हैं तो हम क्यों नही। रौशनबाग की रूबीना कहती हैं कि यह विरोध किसी पार्टी, किसी सरकार के खिलाफ नही है यह भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने पर हमले के खिलाफ और देश और संविधान के धर्मनिरपेक्ष वजूद को बचाने के लिए लडाई है। उन्होंने कहा कि यह हमारे आत्म सम्मान की भी लड़ाई हम खुद को भारतीय सि( करने के लिए कागज क्यों दिखायेंगे। हम यहां सदियों से रहते आये हैं, हम डिटेंशन सेंटरों में क्यों भेजे जायेंगे। इन सवालों से हमने अपनी नींद गंवा दी है कोई हमारे सवालों का जवाब देने को तैयार नही है।
गोमती नगर, यूपी
नागरिकता संशोधन कानून यसीएएद्ध और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यएनआरसीद्ध के खिलाफ एक ओर लगातार चैथे दिन घंटाघर पर महिलाएं बैठी हुई हैं वहीं दूसरी ओर गोमतीनगर में भी प्रदर्शन शुरू हो गया है। देर शाम गोमतीनगर के उजरियांव स्थित गंज शहीदां कब्रिस्तान के पास महिलाओं का जमावड़ा शुरू हो गया। जैसे ही इसकी भनक पुलिस को लगी उन्होंने महिलाओं को वहां से उठने को कहा, लेकिन वे नहीं मानीं। उनका धरना अभी तक भी चालू है।
अलीगढ़

अलीगढ़ में स्थानीय पुलिस ने 60-70 महिलाओं पर सीएए  के खिलाफ धरने का आयोजन करने पर एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने यह एफआईआर अज्ञात महिलाओं के खिलाफ की है और कहा है कि उनका धरना, प्रतिरोध धारा 144 का उल्लंघन है और इसीलिए उन पर एफआईआर की गयी है।
देवबंद, सहानपुर

सीएए, संभावित एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन की कड़ी में 19 जनवरी रविवार को भी देवबंद के ईदगाह मैदान में धरना प्रदर्शन आयोजित हुआ। इस बार के धरना प्रदर्शन की खास बात यह रही कि इसमें बड़ी संख्या में पहुंचे पुरुषों के साथ महिलाएं भी शामिल रहीं।
महिलाएं सरकार विरोधी नारेबाजी के बीच हाथ में तिरंगे और सीएए विरोधी नारे लिखी तख्तियां लेकर ईदगाह मैदान पहुंचीं। धरने को जमीयत पदाधिकारियों के अलावा जामिया मिल्लिया और जेएनयू के कई छात्रों ने भी सम्बोधित किया। सुरक्षा के लिहाज से धरनास्थल के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात रही।
आजाद इंटर काॅलेज, बरेली
नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और एनआरपी के खिलाफ बारादरी थाना क्षेत्र के आजाद इंटर काॅलेज में बुधवार रात अचानक 300 से 400 लोगों की भीड़ जमा हो गई। हाथों में तिरंगा लिए भीड़ ने आजादी के नारे लगाने शुरू कर दिए। सूचना पर मौके पर भारी पुलिस फोर्स पहुंच गयी। पूरे क्षेत्र में आएएफ के जवानों को तैनात कर दिया गया है। फोर्स तैनात किए जाने के बाद भीड़ वही धरने पर बैठ गई है।
धरने पर बैठी भीड़ ने मौके पर तंबू लगाना शुरू कर दिए हैं। इसके अलावा ठंड से बचने के लिए कई जगहों पर अलाव भी जलाए गए हैं। इसके ईद-गिर्द बैठकर लोग आजादी के नारे लगा रहे हैं। चूंकि, मैदान में काफी अंधेरा था इसलिए वहां पर लाइटें लगाकर रोशनी का इंतजाम भी किया गया है। इससे पहले तक अंधेरा होने के कारण काफी अफरा-तफरा का माहौल बना हुआ था। 
सर्कस पार्क कोलकत्ता

कोलकत्ता के सर्कस पार्क में 7 जनवरी से महिलाओं के नेतृत्व में सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रतिरोध धरने की शुरूआत हुई। सैंकडों औरतें, बच्चे आदमी हाथों में सीएए के विरोध में लिखे नारे और प्लेकार्डस हाथों में लिए सर्कस पार्क में आकर जम गये और शाहीन बाग की तर्ज पर विरोध की शुरूआत कर दी। कलकत्ता में रहने वाले प्रोफेसर नौशुद्दीन बाबा खान ने कहा कि ये औरते, ये लेाग कौन हैं, ये स्लम बस्तियों और आसपास के इलाकों में रहने वाले गरीब लोग हैं। इनके मन में डर है, खौफ है कि ये अपनी नगारिकता गंवा देंगे, या डिटेंशन सेंटर भेज दिये जायेंगे। इसीलिए अपने आने वाले कल के लिए ये यहां आकर टिके हैं।
कोटा, राजस्थान

सीएए, एनआरसी और एनपीआर को वापस लेने की मांग को लेकर कोटा में भी शाहीन बाग की तर्ज पर आंदोलन के लिए शहर के लोग सड़कों पर उतर आये और अनिश्चितकालीन धरने की शुरूआत की। इस मौके पर शहर काजी अनवार अहमद भी धरने को समर्थन देने पहंुचे और जाने माने वकील मोहनलाल राव ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि किसी से नागरिकता सि( करने की बात कहना नागरिक का अपमान करना है।
अल्बर्ट हाॅल, जयपुर
 जयपुर का प्रसिद्ध अल्बर्ट हाॅल शहीन बाग के प्रतिरोध के समर्थन और सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के प्रति एकजुटता का गवाह बन रहा है। यहां रोजाना 5.30 पर शहर के सैंकडों महिला पुरूष एकत्र होकर शाहीन बाग प्रतिरोध के प्रति अपनी एकजुटता जाहिर करने के लिए एकत्र होती है और सीएए के खिलाफ और आजादी के नार लगाते हैं और ठीक 7.30 बजे यह रोजाना का प्रतिरोध समाप्त हो जाता है।
टोलीचौकी हैदराबाद

मिलेनियम मार्च और तिरंगा मार्च के बाद हैदराबाद के टोलीचौकी में हैदराबाद की महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन की शुरूआत की। जहां पर पुलिस ने उन्हें हटाने के लिए बल प्रयोग किया। इस विरोध धरने में समाज के सभी वर्गो की महिलाएं और अन्य लोग भाग ले रहे थे।
दिल्ली के सीलमपुर में जारी धरने को सम्बोधित करती सदफ जफ़र 

देश के विभिन्न राज्यों और शहरों में सीएए और एनआरसी के खिलाफ जबरदस्त जन उभार है। असम के हरेक जिले के विभिन्न गांवों, कस्बों और छोटे शहरों से लेकर राजधानी गोवाहटी तक में सीएए के विरोध की आवाजें साफ सुनाई और दिखाई पडती हैं तो वहीं देश के दूसरे भागों में शाहीन बाग की तर्ज पर सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोधियों के प्रतिरोध धरनों की मानों बाढ़ सी आ गयी है। उपरोक्त वर्णित शाहीन बागों के अलावा आजादी स्क्वेयर कोचीन, खजराना इंदौर, सेंट्रल लाइब्रेरी भोपाल, मलमल मधुबनी बिहार, संविधान चैक नागपुर और औरंगाबाद महाराष्ट्र में भी लोग नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सड़कों पर हैं और हरेक बीतते दिन के साथ इन धरने प्रदर्शनों की तादाद बढ़ती ही जाती है। यदि सरकार का मौजूदा रूख और स्वयं संवेक संघ के स्वयं सेवक गृहमंत्री अमित शाह की जनता को ललकारने वाली और यूपी के मुख्यमंत्री योगी की धमकाने वाली भाषा बनी रहती है तो यह तय है कि आने वाले दिनों में देश के हर शहर में और हर बस्ती में शाहीन बाग होगा।

गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

क्या मोदी और भाजपा झूठ का ओलंपिक खेल रहे हैं?

महेश राठी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में जोर जोर से कहा कि यह झूठ है, झूठ है, झूठ है। अब समझना मुश्किल है कि एनआरसी के सवाल पर झूठ कौन बोल रहा है मोदी, अमित शाह, जे पी नड्डा, मुख्तार अब्बास नकवी अथवा यह माने कि भाजपा के नेता किसी झूठ के ओलंपिक में भाग ले रहे हैं। मोदी के पुराने रिकार्ड देखते हुए यह तो तय है कि इस ओलंपिक का गोल्ड मेडल अगर कोई जीत सकता है तो वह नरेन्द्र मोदी ही हैं, दूसरा कोई नही।
बहरहाल, दिल्ली के रामलीला मैदान में विपक्ष पर हमला बोलते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विपक्ष लोगों को गुमराह कर रहा है, गलत सूचनाएं दे रहा है और सीएए एवं एनआरसी के सवाल पर भडका रहा है। विपक्ष पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार अर्थात केबिनेट और संसद ने अभी तक एनआरसी पर कोई चर्चा ही नही की है।
फिर सवाल यह उठता है कि यह झूठ कौन फैला रहा है, विपक्ष अथवा मोदी के सर्वाधिक विश्वसनीय और उनके सिपहसालार अमित शाह। क्योंकि वह अमित शाह ही हैं जिन्होंने एक बार नही कईं बार एनआरसी लागू करने की बात संसद और सार्वजनिक मंचों से कही है। नागरिकता संशोधन कानून पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए भी हमेशा की तरह अमित शाह ने विपक्ष को ललकारने की मुद्रा में एनआरसी लागू करने की बात कही थी।
हालांकि इससे पहले और इसके बाद भी वह संसद में अपनी बात को लगातार दोहराते रहे हैं।
20 दिसंबर को राज्यसभा में स्वप्नदास गुप्ता द्वारा पूछे गये एक सवाल का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि एनआरसी पूरे देश में लागू की जायेगी। शाह ने कहा कि एनआरसी से जुडा और असम के मामले में 7 सितंबर 2015 को जारी गैजेट नोटिफिकेशन शेष देश पर भी लागू होगा। शाह ने फिर से दोहराया कि एनआरसी को लागू करना हमारे चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा है। शाह ने यह भी कहा कि घुसपैठियों के कारण कईं इलाकों की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान पर व्यापक प्रभाव पडा है और यहां तक कि उन इलाकों के लोगों की आजीविका और रोजगार को भी घुसपैठ ने बुरी तरह से प्रभावित किया है, इसीलिए एनआरसी का निपटारा शीघ्रता से करना हमारी प्राथमिकता में है। शाह ने आगे कहा कि हम पूरे देश में इसे विभिन्न चरणों में लागू करेंगे।
केवल संसद ही नही संसद के बाहर भी शाह ने विभिन्न अवसरों पर विपक्ष को एनआरसी के नाम पर ललकारा है। अमित शाह ने तो झारखण्ड के सिंहभूमि की एक चुनावी सभा में बोलते हुए एनआरसी लागू करने की अंतिम समय सीमा तक की घोषणा कर डाली थी। शाह ने कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ही हमारी सरकार एनआरसी को लागू करके सभी घूसपैठियों को बाहर कर देगी।
इसके अलावा अमित शाह ने हिंदुस्तान अखबार समूह के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में 17 दिसंबर को बोलते हुए कहा कि एनआरसी पूरे देश में लागू की जायेगी और एनआरसी पर हमें जनादेश मिला है। भाजपा नेता शाह ने इस कार्यक्रम में साफ किया कि एनआरसी हमारे चुनावी घोषणापत्र में शामिल था और इसे लागू करने के लिए हमें देश की जनता ने जनादेश दिया है।
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा तो एनआरसी पर इससे भी ज्यादा जल्दी में दिखाई दिये वह तो उस समय भी एनआरसी को देशभर में लागू करवाने पर अमादा थे जब देश बुरी तरह से विरोध की आगे में जल रहा था। नागरिकता संशोधन कानून बन जाने के बाद दिल्ली में 18 दिसंबर को अफगानिस्तान के सिख शरणार्थियों से एक मुलाकात के दौरान जे पी नड्डा ने एकबार फिर दोहराया कि एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जायेगा। 
हालाँकि प्रधानमंत्री मोदी ने केवल एनआरसी पर ही रामलीला मैदान में यूटर्न नही लिया है बल्कि उन्होंने ऐसा ही यूटर्न डिटेंशन सेंटर्स पर भी लिया है। रामलीला मैदान में भी डिटेंशन सेंटर्स के बारे में भी प्रधानमंत्री के झूठ का पर्दाफाश हो गया है। राज्यसभा सांसद मो. नदीमुल हक के द्वारा पूछे गये एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानन्द राय ने अपने जवाब में राज्यसभा को बताया था कि केन्द्र सरकार ने सभी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों को डिटेंशन/होल्डिंग सेंटर्स नियमावली शीर्षक से जनवरी 2019 में एक सर्कुलर भेजा था। गृह राज्यमंत्री ने 22 नवंबर 2019 को एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि अभी असम में छह डिटेंशन सेंटर्स संचालित किये जा रहे हैं जिसमें 988 विदेशी घुसपैठिये हैं।
डिटेंशन सेंटर्स पर अपने जवाब में गृह राज्यमंत्री ने यह भी बताया कि डिटेंशन सेंटर्स की स्थापना घुसपैठियों और अपने देश भेजे जाने में विलंब हो रहे दोषी विदेशियों को रखने की जरूरत के कारण है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि असम के गोलपाडा में एक बडा डिटेंशन सेंटर भी निर्माणाधीन है जिस पर 46.5 करोड रूपये की लागत आने का अनुमान है।
मोदी के झूठ की हद तो तब हो गयी जब उन्होंने कहा कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर ही नही है। मोदी ने रामलीला मैदान में अपने भाषण में कहा कि किसी भारतीय मुस्लिम को डिटेंशन सेंटर नही भेजा जायेगा और मोदी ने यहां तक दावा कर दिया कि देश में अभी कोई डिटेंशन सेंटर ही नही है।
परंतु उनके मंत्री और नेता और यहां तक कि जमीनी हालात उनके झूठ की पोल खेल रहे हैं। यहां तक कि राष्ट्रपति का संसद के संयुक्त सत्र को संबोधन भी मोदी के झूठ को बेनकाब करता नजर आ रहा है। 20 जून 2019 को संसद के संयुक्त सदन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि अवैध घुसपैठिये देश की सुरक्षा को खतरा है और इससे देश के कईं हिस्सों में सामाजिक संतुलन बिगड़ रहा है और ठीक उसी प्रकार यह देश के सीमित आजीविका के अवसरों पर एक दबाव बनाता है। मेरी सरकार ने घुसपैठ से प्रभावित इलाकों में प्राथमिकता के आधार पर नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजन्स की प्रक्रिया को लागू करने का फैसला लिया है। साथ ही राष्ट्रपति ने कहा था कि सीमा के इलाकों में आगे घुसपैठ को रोकने के लिए सुरक्षा को मजबूत किया जायेगा। 
कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक हाई कोर्ट को 22 नवंबर 2019 को सूचित किया था कि राज्य के विभिन्न जिलों और मंडलों में 35 डिटेंशन सेंटर्स की पहचान की है। हाल ही में कर्नाटक में पहला डिटेंशन सेंटर बेंगलुरू के पास सोंदेकोप्पा गांव में स्थापित किया गया है। बीस साल पुरानी यह इमारत पहले सामाजिक रूप से वंचित तबके के छात्रों का एक हाॅस्टल हुआ करता था और इसमें कुछ कमरे एक शौचालय एवं एक किचन है। यह भी कमाल है कि  ब्राह्मणवादी सरकार ने इस मामले में एक तीर से दो शिकार निबटा दिए! एक पिछड़े वर्ग के छात्रों का हॉस्टल बंद कर दिया और दुसरे ब्राह्मणवादी एजेंडे को बढ़ाते हुए डिटेंशन सेंटर बना डाला! परंतु एनआरसी पर मोदी के यूटर्न के बाद कर्नाटक के गृहमंत्री बासवाराज बोम्मई अब कह रहे हैं कि इस डिटेंशन सेंटर का एनआरसी से कोई संबंध ही नही है। उनके अनुसार यह डिटेंशन सेंटर उन अफ्रीकी विदेशियों के लिए एक ट्रांजिट कैंप की तरह है जिन्हें मादक पदार्थों की तस्करी में पकडकर वापस उनके देश भेजा जाना है। इसके अलावा महाराष्ट्र की पिछली भाजपा सरकार ने भी ऐसे डिटेंशन सेंटर स्थापित करने की कार्ययोजना पर काम शुरू किया था। जिसमें मुंबई के पास नवी मुंबई के नेरूल में जगह की पहचान और डिटेंशन सेंटर बनाने की प्रक्रिया की शुरूआत जुलाई 2019 में की गयी थी। हाल ही में शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस गंठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री और भाजपा के पूर्व सहयोगी उद्धव ठाकरे ने इस डिटेंशन की स्थापना और योजना को खारिज करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में कोई नाजी डिटेंशन सेंटर नही बनेगा।
मोदी के यूटर्न के बाद जुमलेबाजी के लिए मशहूर भाजपा के बडे अल्पसंख्यक नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने प्रधानमंत्री मोदी के बचाव और सरकार के यूटर्न पर जिस प्रकार की जुमलेबाजी शुरू की वह ना केवल बेहद हास्यास्पद है बल्कि बिल्कुल शर्मनाक भी है। मुख्तार अब्बास नकवी ने नागरिकता कानून और एनआरसी के मुद्दे पर एक टीवी चैनल से खास बातचीत में सवालों के जवाब देते हुए कहा कि एनआरसी को लेकर फैलाया गया झूठ का झाड़ सच के पहाड़ के नीचे ध्वस्त हो जाएगा। केंद्रीय मंत्री नकवी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि एनआरसी को लेकर अभी कोई बात ही नहीं हो रही है। उन्होंने आगे कहा गुमराह करने वालों की गैंग है और उसने योजना बनाकर लोगों को गुमराह किया है। कुछ लोग अपनी सियासी रोटी सेकने के लिए ऐसा करते हैं। असम के अलावा भारत के किसी भी हिस्से में एनआरसी की प्रक्रिया नहीं शुरू हुई है। लोगों के बीच एनआरसी को लेकर भय और भ्रम का झूठ फैलाया गया है। नकवी ने यह भी कहा कि एनआरसी का न सिर है न पैर है।
अब नकवी से कोई पूछे कि मोदी के अनुसार एनआरसी पर जब केबिनेट और संसद में कोई चर्चा ही नही हुई तो वह कौन है जो एनआरसी पर झूठ का झाड़ बना रहा है और अमित शाह का संसद में बयान, गृह राज्यमंत्री के एनआरसी और डिटेंशन सेंटर्स पर जवाब, राष्ट्रपति के अभिभाषण में एनआरसी की योजना का ब्यौरा, जे पी नड्डा की बयानबाजी अथवा कर्नाटक और महाराष्ट्र में स्थापित हो रहे डिटेंशन सेंटर्स के पीछे क्या किसी गैंग का हाथ है, जो देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं और देश के राष्ट्रपति और परम ज्ञानी हमेशा विपक्ष को ललकारने और धमकाने की भाषा में बोलने वाले अमित शाह भी इस गैंग के फैलाये जा रहे भ्रम का शिकार हो गये हैं। एक केन्द्रीय मंत्री नकवी की हास्यास्पद जुमलेबाली पूरे देश को शर्मसार कर रही है। मोदी सरकार और उनके मंत्रियों और भाजपा नेताओं के यूटर्न देखकर लगता है कि मोदी और उनकी पूरी टीम कोई झूठ का ओलंपिक खेल रही है। परंतु इसमें भी एक बात तय है कि इस ओलंपिक में भाजपा के कितने ही नेता भाग ले लें मगर हमेशा की तरह झूठ के ओलंपिक का गोल्ड मेडल जीतने में मोदी ही सबसे सक्षम उम्मीदवार हैं।  

गुरुवार, 10 अक्तूबर 2019

कश्मीर का समझदार बच्चा !

महेश राठी

कश्मीर का बच्चा ज्यादा समझदार होता है, 
उसके पास होते हैं ज्यादा अनुभव,
उसके पास होती हैं अधिक सूचनाएं
कश्मीर का चार साल का बच्चा
जानता है आंसू गैस,
वह जानता है फौजी बंकर,
वह जानता है कर्फ्यू और फौजी गश्त
वह पहचानता है गोलियों की आवाज,
उसे मालूम होता है,
रेजर ब्लेड तार और कंटीली तार का अंतर
वह जानता है
इक्के दुक्के सैनिकों और हजारों सैनिकों का फर्क
शान्ति और घेराबंदी का फर्क !
कश्मीर का बच्चा जानता है,
मुख्यधारा का शोर,
नये हमले की दस्तक होता है !
कश्मीर का बच्चा समझदार होता है,
वह बचपन से ही सीख जाता है
दहकते लावे को सख्त सामान्य जमीन दिखाना !
उबलते दिल दिमाग को,
कठोर, भावहीन, सामान्य चेहरा दिखाना
उसे मालूम होता है,
आजादी और घेराबंदी का फर्क
उसे बरगलाया नही जा सकता है
वह जानता है लावा फूट पडने का सही समय
कश्मीर का बच्चा बेहद समझदार होता है।
मगर, आप खौफ से भर जायेंगे
आपके बच्चे के इतना समझदार होने पर,
आप सपने में भी डर जायेंगे
आपके बच्चे के इतना समझदार होने पर,
आप समझ जायेंगे,
सामान्य हालात, घेराबंदी, आजादी के अर्थ
आपके बच्चे के इतना समझदार होने पर ! 

शनिवार, 5 अक्तूबर 2019

डरे हुए लोग

डरे हुए लोग!
जब वे सत्ता में नही होते,
खामोश हो सुप्तावस्था में चले जाते हैं,
डरे हुए लोग
प्रतीकों को ट्रंक में रख भूल जाते हैं,
तब वें सत्ता के प्रति
सनातनी सहमति रखते हैं,
ढ़ोल पखावज केवल समर्थन में बजाते हैं,
डरे हुए लोग !
सत्ता के इशारे से,
अपने संविधान और लक्ष्य बदल लेते हैं
हर जेब में रखते हैं भक्ति के शपथपत्र
डरे हुए लोग
कायर कहे जाने पर भी सहिष्णु दिखते हैं
डरने को वे कुंठा नही विनम्रता बताते हैं
डरे हुए लोग !
जब सत्ता में होते हैं
अपनी कुंठा को शोर बनाते हैं
सच की आवाज दबाते हैं
डरे हुए लोग !
प्रतीकों को हर पल लहराते हैं
मिथकों के इतिहास में बस जाते हैं
झूठ को सच समझाते हैं
डरे हुए लोग !
हर कमजोर को मारते हैं
अपने पराक्रम पर इतराते हैं
विरोध पर गुर्राते हैं
डरे हुए लोग !