आइएनएन भारत डेस्क
नई दिल्लीः गुजरात चुनावों के दूसरे चरण के मतदान के बाद जो एक्जिट पोल के नतीजे मीड़िया में प्रसारित हो रहे हैं वो बेहद चैंकाने हैं। चैंकाने वाले इसलिए है कि वह जमीन के मतदान रूझानों और पूरे प्रचार के दौरान जनता के रूझानों से एकदम विपरीत हैं। परंतु यदि पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से एक्जिट पोल कराने वाली एजेंसियों की मनोदशा को देखा जाये तो यह उस के अनुरूप ही है। वास्तव में एक्जिट पोल करने वाली अधिकतर एजेंसिया कभी भी भाजपा को हारते देखना ही नही चाहती हैं। या तो यह उनकी राजनीतिक और सामाजिक प्रतिबद्धता है अथवा उन पर कोई सत्ता का दबाव है कि वह अक्सर जमीनी हकीकत के उल्ट एक्जिट पोल के नतीजे जाहिर करते हैं।
यदि हम दो तीन उदाहरण लेकर इसे समझे तो एक्जिट पोल एजेंसियों की हकीकत समझी जा सकती है। पहला तमिलनाडु उदाहरण तमिलनाडु को लें जहां पर लगभग सभी एक्जिट पोल के नतीजे डीएमके को जीता हुआ घोषित कर चुके थे परंतु नतीजे जब सामने आये तो जयललिता की स्पष्ट बहुमत से सरकार बनी और एक्जिट पोल धाराशायी हो गये।
दूसरा उदाहरण बिहार को लें जहां पर लगभग सभी एक्जिट पोल के नतीजों ने भाजपा की सरकार ही बनव डाली थी। और बात यहीं तक भी नही ठहरी भाजपा ने तो डाक मतपत्रों के शुरूआत रूझान के अधार पर ही जश्न मनाना शुरू कर दिया था। और कमाल यह था कि एक्जिट पोल के सभी नतीजे तमिलनाडु की तरह सीटों का हिसाब तो छोड़िये मतदान के रूझान से एकदम उल्टी तस्वीर पेश कर रहे थे।
तीसरा उदाहरण दिल्ली का है जिसमें एक्जिट पोल के नतीजों में आम आदमी पार्टी को बढ़त तो कई ने जरूर दिखाई परंतु टक्कर भाजपा और आप में कांटे की दिखाते रहे। परंतु नतीजा सबके सामने था और भाजपा का पूरी तरह सफाया हो गया था।
बहरहाल, इन उपरोक्त उदाहरणों से एक बात तो तय है कि कहीं ना कहीं भाजपा को लेकर एक्जिट पोल एजेंसियों का एक पक्षपाती रूझान तो रहता ही है। इसमें यदि हम केरल का उदाहरण लें तो सबसे मजेदार है जहां एक एक्जिट पोल का सर्वे नतीजा तो भाजपा को 8 सीटें देने पर अमादा था। खैर ठीक भी है जब उस एजेंसी की मालिक एक भाजपा के केन्द्रीय मंत्री की बहन हो तो ऐसे नतीजों में कोई आश्चर्य भी नही करना चाहिए। वैसे कई जानकार लोग इन एक्जिट पोल के नतीजों को सट्टाबाजार को उठाने गिराने और कमाई के लिए सटोरियों के किये जाने वाले खेल से जोड़कर देखते हैं।
अब गुजरात में भी लगभग यही हाल है कि एक्जिट पोल के नतीजे कांग्रेस की बढ़त का रूझान तो दिखा रहे हैं परंतु कांग्रेस को निर्णायक सीट देने के मामले में लगता है कि कुछ घबराहट है। कहीं ऐसा ना हो कि नतीजे दिल्ली की तरह के सामने आयें। क्योंकि गुजरात में 22 साल के विकास, पाटीदार आंदोलन, आदिवासियों की दुर्दशा, व्यापारियों पर नोटबंदी और जीएसटी की मार और दलितों पर बढ़ते हमले ने भाजपा का जनाधार झटक लिया है। ऐसे में एक्जिट पोल के नतीजे देखकर लोग हैरान हैं कि भाजपा को इतने वोट आखिर कहां से मिल गये। बहरहाल 18 दिसंबर को सब पोल खुल जायेगी क्या सच है और क्या झूठ।
Kerala Election 2016 Exit Poll
Pollsters
|
UDF+
|
LDF+
|
BJP+
|
Others
|
Elections.in
|
45
|
90
|
2
|
3
|
CVoter
|
58
|
78
|
2
|
2
|
India Today-Axis
|
43
|
94
|
3
|
0
|
News Nation
|
70
|
69
|
1
|
|
Chanakya
|
57
|
75
|
8
|
|
NDTV
|
57
|
79
|
3
|
1
|
Tamilnadu
Elections.in
|
95
|
130
|
5
|
|
4
|
CVoter
|
139
|
78
|
15
|
|
2
|
India Today-Axis
|
99
|
132
|
0
|
|
3
|
News Nation
|
97
|
116
|
14
|
|
7
|
ABP
|
95
|
132
|
|
1
|
6
|
Chanakya
|
90
|
149
|
|
|
4
|
NDTV
|
103
|
120
|
|
0
|
11
|
Delhi
ABP
|
43
|
26
|
1
|
Axis
|
53
|
17
|
0
|
C Voter
|
39
|
29
|
1
|
Data Mineria
|
31
|
35
|
4
|
India Today - Cicero
|
38- 46
|
19-27
|
3-5
|
India TV
|
31-39
|
27-35
|
2-4
|
News Nation
|
39-43
|
25-29
|
1-3
|
Today's Chanakya
|
48
|
22
|
0
|
Zee TV-C voter
|
31-39
|
27-35
|
2-4
|
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