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शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

गठबंधन के बहाने भ्रष्टाचार

महेश राठी नित नए घोटालो में फंसती यूपीए सरकार के बचाव में सामने आए प्रधानमंत्री ने सत्तापक्ष की मुश्किलें और बढ़ा दिया है। गठबंधन के बहाने भ्रष्टाचार को धर्म बताने की प्रधानमंत्री की सतर्क कोशिश विचित्र व हास्यास्पद है। यह असली गुनहगारों के बचाव का अचूक सूत्र भी है। प्रधानमंत्री का तर्क देश के प्रशासनिक एवं राजनीतिक मुखिया से अधिक एक सीईओ सरीखा था। यह अर्थशास्त्रीय तर्क इसलिए भी अधिक था कि इसमें भ्रष्टाचार की खाद्य सब्सिडी से बेहद संवेदनहीन तुलना थी और साथ ही देश के सबसे मजबूत व्यक्ति की कृत्रिम नौकरशाही वाली बेचारगी भी। प्रधानमंत्री की दृढ़ता दूसरों पर ठीकरा फोड़ने से आगे नहीं बढ़ पाई। ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री में दृढ़ता का अभाव है। उन्होंने कई बार स्वाभाविक दृढ़ता का परिचय दिया है। भूमंडलीकृत उदारवादी विकास के प्रबल पैरोकार प्रधानमंत्री ने देश के उद्योगपतियों की एक बैठक में दोहराया कि हमारी प्राथमिकता आर्थिक विकास है और पर्यावरण बाधाओं को उसके राह की रुकावट नहीं बनना चाहिए। यही दृढ़ता प्रधानमंत्री ने न्यायपालिका को नसीहत देने में भी जाहिर की। तमाम सीमाओं के बावजूद भ्रष्टाचार के मामलों पर न्यायपालिका का रुख और उसका हस्तक्षेप बेहद प्रभावकारी रहा है। आदर्श घोटाले से लेकर राष्ट्रमंडल खेलों और 2 जी स्पेक्ट्रम पर सरकार को लगातार न्यायपालिका की ओर से हिदायतें और फटकार मिलती रही। इस कारण सरकार को बार बार असहजता और परेशानी का सामना करना पडा। सरकार को चाहिए कि वह ईमानदारी से काम करे और अपना दामन साफ दिखाने के लिए घोटालों की जांच में बाधा न बने। प्रधानमंत्री की दृढ़ता को पूरा देश और दुनिया परमाणु करार के सवाल पर भी देख चुकी है। जब लगभग समूचे विपक्ष की एकजुटता और विरोध के बावजूद प्रधानमंत्री ने अपना मिशन पूरा किया। इसके अतिरिक्त खाद्य सुरक्षा के सवाल पर भी प्रधानमंत्री ने सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली एनएसी के बेहद महत्वाकांक्षी प्रस्ताव को खारिज कर दिया। आरटीआइ के मौजूदा प्रारूप में बदलाव के प्रति भी प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों की दृढ़ता इसके समर्थकों को आंदोलित किए हुए है। ऐसा नही है कि प्रधानमंत्री में दृढ़ता का अभाव है, परंतु यह दृढ़ता दिखाने से अधिक प्राथमिकताओं का मामला है। वास्तव में पीजे थॉमस की नियुक्ति और कालेधन के खातेदारों के बचाव से लेकर भ्रष्टाचार से निपटने में जो भी तर्क प्रधानमंत्री ने मीडिया को संबोधित करते हुए दिए वह प्रधानमंत्री की विवशता और मजबूरी से ज्यादा उनकी नीयत और उस राजनीतिक प्रबंधन पर सवाल खडे़ करता है जिसके बचाव के लिए गठबंधन धर्म का तर्क दिया जा रहा है। वास्तव में भ्रष्टाचार से बचाव के लिए हर राजनीतिक दल के अपने तर्क हैं। डीएमके प्रमुख ने राजा के बचाव में इसे दलित नेता पर अभिजात्य आक्रमण के तौर पर रेखांकित किया, वहीं भाजपाई राजनीति अपनी कमीज को तुलनात्मक रूप से अधिक उजली सिद्ध करने के तर्क के साथ कांग्रेस को घेरने की कोशिश करती दिखी, जबकि दोनों की राजनीति एवं आचरण एक ही सिक्केके दो पहलू से अधिक कुछ नहीं है। परंपरा का निर्वाह करते हुए प्रधानमंत्री भी भ्रष्टाचार के बचाव के तर्क गढ़ रहे हैं। वास्तव में भ्रष्टाचार बहुरंगी एवं बहुआयामी होता है। अब प्रधानमंत्री गठबंधन धर्म की विवशताओं का हवाला देते हुए भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी सरकार के मुखिया बने रहने का मोह नहीं छोड़ पाते हैं तो यह ईमानदारी की अनोखी मिसाल नहीं वरन भ्रष्टाचार का ही एक रूप है। इस भ्रष्टाचार से यह कहकर नहीं बचा जा सकता है कि मेरी कुछ मजबूरिया हैं। यदि मनमोहन सिंह जनादेश का हवाला देकर पांच साल बने रहने का हक जताते हैं तो उन्हें पांच साल के सभी घोटालों की जवाबदेही भी लेनी पडे़गी। पांच साल कोयले के गोदाम में रहने के बाद प्रधानमंत्री को कोई भी चमत्कार धवल पोशाक बेदाग नहीं रख सकता है। असल में प्रधानमंत्री की बेचारगी गठबंधन धर्म निभाने के कारण भ्रष्टाचार सहन करने से भी बड़ी है। प्रधानमंत्री अपने बचाव में उस तर्क का सहारा ले रहे हैं जिसकी खोज कुछ ही समय पहले राजनीति में कम परिपक्व कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने की थी। अपनी लखनऊ यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने इसी तर्क का सहारा लिया था और अब प्रधानमंत्री। 2 जी स्पेक्ट्रम पर गठबंधन धर्म के तर्क को सरकार अपनी ढाल बना सकती है, लेकिन उन एस-बैंड करार का क्या जिसकी जवाबदेही प्रधानमंत्री की ही है।

1 टिप्पणी:

  1. basically wt PM has said is his deadly honest statement. And friends RAJA is being used as scape goat in whole spectrum episode. Real culprit and beneficiary is the DMK. Raja has received a very little of 1.76 lacs crore. DMK has been treating the telecom ministry as its property since long. The whole exercise , too delayed is being undertaken in connivance with Karunanidhi to hide the real culprits . This is the गठबंधन धर्म.

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