रावण भी हिकारत से थूक देगा .........
जिनके कुकर्त्य देखकर
लपटों के बीच
जल कर राख हो गयी
जिंदगियों पर जश्न मनाते हुए
विषाक्त मानसिकता को
विषय बनाने वाले !
उपवास पर बैठे हैं !
वो रामभक्त !
तुम्हारे उन्मादी नारे
याद दिलाते रहेंगे
बहते गर्म लहू की,
असंख्य खामोश हो गई आवाजो की !
जिसने देवता की जयकार में
एक खुनी की आहट भर दी !
वो दौड़ते रहे,
डरते हुए,
चीखते हुए,
खुली सडको पर !
उन्हें मारा गया
किसी सुनसान जंगल !
किसी बियावान कब्रिस्तान में नहीं !
उनका खून खुलेआम बहा
भीड़ भरे शहर की छाती पर !
उस स्याह हो चुके घर को देखो !
जहाँ खिलते थे फूल,
गूंजती थी किलकारियां,
जिसमे रहती थी
निरपराध, मासूम सांसों की गर्माहट !
वो घर जला ,
तो , वो खामोश नहीं थे !
नीरो की तरह बांसूरी बजाते हुए,
वो नाचते रहे सरेआम
देश की छाती पर
उन्मादी,
मतवाले हो,
लगाकर मुखौटे
उपवास पर बैठे
वो राम भक्त !
- महेश राठी
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