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शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

उपवास पर रामभक्त !



रावण भी हिकारत से थूक देगा .........
जिनके कुकर्त्य देखकर 
लपटों के बीच 
जल कर राख हो गयी 
जिंदगियों पर जश्न मनाते हुए 
विषाक्त मानसिकता को 
विषय बनाने वाले !
उपवास पर बैठे हैं !
वो रामभक्त !

तुम्हारे उन्मादी नारे 
याद दिलाते रहेंगे 
बहते गर्म लहू की,
असंख्य खामोश हो गई आवाजो की !
जिसने देवता की जयकार में 
एक खुनी की आहट भर दी !

वो दौड़ते रहे,
डरते हुए,
चीखते हुए,
खुली सडको पर !
उन्हें मारा गया 
किसी सुनसान जंगल !
किसी बियावान कब्रिस्तान में नहीं !
उनका खून खुलेआम बहा 
भीड़ भरे शहर की छाती पर !

उस स्याह हो चुके घर को देखो !
जहाँ खिलते थे फूल,
गूंजती थी किलकारियां,
जिसमे रहती थी 
निरपराध, मासूम सांसों की गर्माहट !
वो घर जला ,
तो , वो खामोश नहीं थे !
नीरो की तरह बांसूरी बजाते हुए,
वो नाचते रहे सरेआम 
देश की छाती पर 
उन्मादी,
मतवाले हो,
लगाकर मुखौटे 
उपवास पर बैठे 
वो राम भक्त !

- महेश राठी 

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