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बुधवार, 29 अप्रैल 2015

दलितों पर टूटा संघी आतंक का कहर

अप्रैल की 23 तारीख हरियाणा के सोनीपत जिले की वाल्मिकी बस्ती राजेन्द्र नगर पर कहर बनकर टूटी। वाल्मिकी बस्ती का गुनाह सिर्फ इतना भर था कि उस बस्ती के कुछ बच्चों की क्रिकेट बाॅल खेलते हुए राजेन्द्र नगर में स्थित राष्ट्रीय स्वयँ सेवक संघ के कार्यालय हेडगेवार भवन में चली गई जिसे लेने बच्चे वहां गये तो संघ स्वयं सेवकों ने उनकी पिटाई कर दी। बच्चों की पिटाई की घटना उनके माता पिता ने जब ऐतराज जताया तो संघ कार्यालय में मौजूद संघ के तथाकथित गुण्डे लाठिया लेकर बस्ती पर टूट पडे़ और बेगुनाह लोगों की जमकर पिटाई कर डाली। इस हमले में संघ के 50-55 तथाकथित स्वयं सेवक शामिल थे।
जिस ब्राह्मणवादी घृणा संस्थान को वाल्मिकी बच्चों की क्रिकेट बॉल गंवारा ना थी वे वाल्मिकी समाज का विरोध कैसे गंवारा करते! आखिर ब्राह्मणवादी मानसिक कोढ़ फूट पड़ा और टूट पड़ा गरीब बस्ती के घरों पर  उनकी औरतो मर्दो और बच्चों पर !
राज्य में अपनी सरकार के सहारे और गुरुर पर सवार होकर आया यह इतना भयावह हमला था कि इसमें कई लोग बुरी तरह जख्मी हुए और दस लोगों को गंभीर हालत में शहर के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसमें से तीन लोगों की गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें पीजीआई रोहतक भेज दिया गया। इस पूरे मामले को  संघी रंग में रंगे जिला प्रशासन और  ब्राह्मणवादी कोढ़ से ग्रस्त स्थानीय मीड़िया ने इसे दो गुटों के संघर्ष में रंगकर पेश किया। सोनीपत का मीड़िया और प्रशासन यह दिखाने की कोशिश में लगा हुआ था कि दो गुटों में टकराव से राजेन्द्र नगर में तनाव की स्थिति बनी हुई है। इससे भी बढ़कर जिला प्रशासन और पुलिस ने वाल्मिकी बस्ती के ही कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने की कवायद शुरू कर डाली। परंतु एक स्थानीय निवासी द्वारा पूरे मामले की सीसीटीवी रिकाॅर्डिंग सार्वजनिक किये जाने से साफ हो गया कि यह संघ के गुण्डों द्वारा एक दलित बस्ती पर किया गया एक तरफा हमला था। इस हालत में संघ और राज्य सरकार रक्षात्मक मुद्रा में आ गई और राज्य सरकार में मंत्री राजीव जैन को इस मामले के निपटारे के लिए नियुक्त कर दिया गया। स्थानीय पुलिस जोकि दलितों पर केस दर्ज कराने की तैयारी में थी अब पूरे मामले में समझौता कराने के काम में लग गई। संघ कार्यालय में रहने वाले तथाकथित स्वयं सेवकों को कार्यालय से हटा दिया गया और कार्यालय की सुरक्षा के मद्देनजर वहां पर बड़ी संख्या में पुलिस तैनात कर दी गई। इस पूरे मामले में बुरी तरह घायल राजीव कुमार का कहना था कि हमें दबाव में लेकर पुलिस ने ना जाने किन कागजों पर हस्ताक्षर करा लिये और पुलिस ने उन्हें एफआईआर की प्रति भी नही उपलब्ध करायी है। इस हमले में राजीव की मां कमला देवी (50) और मौसी विमला देवी (51) के अलावा उसके चाचा महीपाल (45) और चचेरे भाई रोहित (24) और श्याम सिंह (44) को भी काफी चोटें आयी हैं। इस घटना के बाद घायल लोगों का हाल जानने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग आये परंतु दलित बस्ती के लोगों की न्याय की आस पूरी नही हो पायी। जिला पुलिस प्रशासन ना केवल दलित बस्ती पर हमले के दोषियों को बचाने में लगा है बल्कि दलितों पर इस प्रकार के उत्पीड़न के लिए दिये जाने वाले मुआवजे की घोषणा भी अभी तक राज्य सरकार की तरफ से नही की गई है।
26 अप्रैल को भारतीय महिला फैडरेशन की महासचिव एनी राजा और आईएसएफ महासचिव विश्वजीत कुमार ने भी निदान अस्पताल में जाकर घायलों का हाल पूछा और पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा लिया उनके साथ न्यूएज/मुक्ति संघर्श संपादकमडण्ल के सदस्य महेश राठी और सोनीपत के एआईएसएफ के छात्र नेता राजीव वर्मा भी थे। दिल्ली से गये इस प्रतिनिधिमण्डल ने घायलों के साथ अस्पताल में एक घंटे के लगभग समय बिताया और उनकी आपबीती सुनी। घायलों में रोहित नामक एक नौजवान ऐसा भी था जो पुलिस विभाग में भर्ती की तैयारी कर रहा था परंतु उसके पैर में इतनी चोट लगी है कि उसका इस भर्ती के लिए आयोजित होने वाली दौड़ में भाग लेना अब नामुमकिन ही है। एनी राजा ने घायलों का हाल जानने के बाद उन्हें आश्वासन दिया कि उनके लिए न्याय की लड़ाई में उनके लिए हर संभव प्रयास करेंगी। एआईएसएफ महासचिव विश्वजीत कुमार ने सभी घायलों के फोटो लिये और पूरी घटना का ब्यौरा भी जुटाया।
दरअसल पिछले कुछ वर्षों से बढ़ते हिंदुत्ववादी कट्टरवाद ने एक दलित और अल्पसंख्यक विरोधी भावना का प्रसार किया है। जिसका प्रभाव हरियाणा में तेजी से बढ़ती हुई दलित विरोधी हिंसा के रूप से साफ दिखाई पड़ता है। अभी तक सोनीपत जिले के ही गोहाना काण्ड़ के दोषियों को सजा की लड़ाई राज्य के दलित लड़ ही रहे थे कि फिर से दलितों पर संघी गुण्डों का यह बर्बर हमला हो गया। हरियाणा में दलितों की जनसंख्या 40 लाख है तो पड़ोसी राज्य पंजाब में यह संख्या 70 लाख है परंतु हरियाणा दलितों पर होने वाले हमलों की संख्या में पंजाब से कही आगे है। इसमें भी अधिकतर मामले ऐसे हैं जिसमें कोई दोशी सिद्ध नही हो पाता है। 2010 में दलितों के उत्पीड़न के 238 मामले सामने आये थे तो 2013 में इनकी संख्या बढ़कर 257 हो गयी थी। हरियाणा में सरकार पर जाट राजनीति काबिज रहे अथवा गैर जाट राजनीति का सत्ता पर कब्जा हो दलितों के खिलाफ हिंसक हमलों का यह रूझान बढ़ोतरी के साथ जारी है।



दलितों पर टूटा संघी आतंक का कहर
 





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