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गुरुवार, 4 जून 2015

हिन्दुत्ववादी राजनीति का नया चेहरा अटाली

महेश राठी
मोदी और अमित शाह की जोड़ी के नेतृत्व में कारपोरेट विकास और सांप्रदायिकता के गठजोड़ का तथाकथित विकास माॅडल हर रोज अपने मंसूबों की नई इबारत गढ़ रहा है। यह गठजोड़ जहां एक तरफ कारपोरेट लूट की गोधूली को विकास बताकर प्रचारित कर रहा है तो दूसरी तरफ इस लूट से जनता का ध्यान हटाने के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के नये प्रयोग भी कर रहा है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के नये प्रयोगों से सत्ता हासिल करने में अभी तक संघ-भाजपा की सबसे सफल मोदी-शाह जोड़ी ने गुजरात नरसंहार के बाद सीमित और नियन्त्रित सांप्रदायिक उन्माद की नई रणनीति तैयार की है। इस रणनीति के तहत किसी खास इलाके में बेहद नियन्त्रित उन्माद पैदा किया जाता है और उस उन्माद के आधार पर उस इलाके के अंदर और उसके आसपास सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का अभियान चलाया जाता है। इस रणनीति में पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता एक बेहद सक्रिय भूमिका अदा करती  है। यहां पुलिस और प्रशासन की सक्रियता हालात बिगड़ने से बचाने के लिए शान्ति और सद्भाव बनाने के नाम पर दोषी बहुसंख्यक हमलावरों पर कार्रवाई करने से इंकार करती है और हमलावरों के दुस्साहस को सहारा देती है तो वहीं अल्पसंख्यक वर्ग में एक स्थायी डर की स्थापना करती है और उसी डर के साथ जीने की आदत डालती है। यह पुलिस प्रशासन जब उन्माद और डर की स्थापना के बाद सक्रिय होता है तो बहुसंख्यक उन्मादियों की शर्तों पर तथाकथित सर्वसम्मत समझौते में सक्रिय भूमिका अदा करता है। इसीलिए यह रणनीति भाजपा शासित प्रदेशों में संघ-भाजपा के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का विशेष औजार बन रही है। भाजपा-संघ की यह सीमित और नियन्त्रित उन्माद की रणनीति सभी भाजपा शासित प्रदेशों में तो कारगर ढ़ंग से अजमायी जा रही है, परंतु इसका उपयोग उत्तर प्रदेश, बिहार आदि विपक्ष शासित राज्यों में भी सांप्रदाकिय नौकरशाही के सहयोग से किया जाता रहा है। भाजपा-संघ के इस नये सांप्रदायिक प्रयोग का ताजा शिकार फरीदाबाद जिले की बल्लभगढ़ तहसील का अटाली गांव है।  
हरियाणा के फरीदाबाद जिले की बल्लभगढ़ तहसील से करीब 12 किलोमीटर दूर अटाली गांव भाजपा-संघ के सांप्रदायिक हमले के इस नये प्रयोग का शिकार हो गया। काफी समय से इस गांव में मस्जिद निर्माण को लेकर गांव के अल्पसंख्यकों और गांव की दबंग जाति के कुछ लोगों के बीच विवाद चल रहा था। जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों के अनुसार इस विवाद का आपसी सहमति से समाधान भी करवा दिया गया था। परंतु 25 मई को गांव में निर्माणाधीन मस्जिद पर गांव की दबंग जाति के कुछ शरारती तत्वों ने अचानक हमला बोल दिया। जिसका विरोध करने पर अल्पसंख्यक समुदाय के लगभग दो दर्जन घरों पर उन हमलावरों की भीड़ ने हमला किया और निर्माणाधीन मस्जिद को ध्वस्त करने के अलावा लगभग 19 घरों में आगजनी और तोड़फोड़ की। इबादतगाह के निर्माण को लेकर गांव की बहुसंख्यक आबादी के दबंगों को आपत्ति थी और इसके लिए दोनों पक्ष अदालत में भी गये जहां अल्पसंख्यक समुदाय के पक्ष में फैसला हुआ जिसके आधार पर मस्जिद में निर्माण शुरू हुआ था। मस्जिद निर्माण को लेकर एतराज का आधार भी बहुसंख्यक समाज के सांप्रदायिक तत्वों द्वारा बहुसंख्यक समाज के वर्चस्व को कायम करने और अल्पसंख्यक समाज को अपनी शर्तों के अनुसार नियन्त्रित करने के अलावा गांव की राजनीति में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की एक सांप्रदायिक रणनीति का हिस्सा था। अपनी उपरोक्त सांप्रदायिक रणनीति को पूरा नही होते देख गांव की दबंग जाति के कुछ शरारती सांप्रदायिक तत्वों ने अल्पसख्ंयकों पर यह योजनाब( हमला कर दिया। 
बल्लभगढ़ तहसील के छोटे से अटाली गांव की आबादी 6 हजार के लगभग है और उसमें अल्पसंख्यक आबादी की संख्या केवल 550 ही है। इस हमले के बाद गांव की यह छोटी सी अल्पसंख्यक आबादी गांव छोड़ने को विवश हो गयी थी। इस सांप्रदायिक हमले के बाद अल्पसख्ंयकों में इतना खौफ था कि जब उन्हें पुलिस प्रशासन ने बल्लभगढ़ में किसी धर्मशाला अथवा स्कूल में साफ और बड़ी जगह पनाह देने की पेशकश की तो अटाली के अल्पसंख्यकों ने इसे ठुकरा दिया और कहा बल्लभगढ़ के थाने की छोटी सी जगह ही उनके लिए सबसे सुरक्षित जगह है। हालांकि छोटी जगह और सीमित सुविधाएं होने के कारण उन्हें इस जगह पर काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। 
समझौता, मुआवजा और घर वापसी 
अटाली गांव में अल्पसख्ंयकों पर हुए इस हमले में पुलिस ने अलग अलग 19 एफआईआर दर्ज की हैं जिसमें लगभग 82 लोगों को नामजद किया गया है। परंतु घटना के दस दिन बीत जाने के बाद 4 जून तक कोई गिरफ्तारी पुलिस ने नही की थी। जिला कलेक्टर अमित अग्रवाल ने 19 घरों की बर्बादी के नुकसान को महज 36 लाख रूपये का नुकसान माना हैऔर कोई कार्रवाई नही किये जाने पर उनका तर्क था कि इससे हालात और बिगड़ सकते हैं और हम समय आने पर अवश्य ही कार्रवाई करेंगे। हालांकि पीड़ित लोगों और उनके रिश्तेदारों के अनुसार कार्रवाई नही होने के कारण हमलावरों और उनके राजनीतिक आकाओं को उन पर समझौता करने का दबाव बनाने का पूरा अवसर मिल रहा है। मुआवजे और नुकसान के आकलन पर भी राज्य और जिला प्रशासन का इसी प्रकार अस्पष्ट रूख रहा है। प्राप्त समाचारों के अनुसार 3 जून को शाम को अटाली के अल्पसंख्यकों की पुलिस सुरक्षा में घर वापसी होना शुरू हो चुकी थी। परंतु मुआवजे के नाम पर बेघर हुए प्रत्येक पीड़ित परिवार को महज 5 हजार रूपये नकद और एक सप्ताह का राशन ही दिया गया था। 19 घरों की बर्बादी का नुकसान 36 लाख बताने वाले राज्य और जिला प्रशासन की मुआवजा देने की रणनीति भी उनके आकलन से स्पष्ट हो रही है। 
इसके अलावा पीड़ितो और उनके परिवारों से बातचीत से मालूम चला कि दोनों पक्षों में कुछ हद तक समझौता हो चुका है। इस समझौते के अनुसार मस्जिद में अजान बगैर लाउडस्पीकर के होगी और मस्जिद की उंचाई दंबगों के बताये अनुसार रखनी होगी। इस समझौते में धर्मनिरपेक्ष देश की सत्ता पर कबिज संघ-भाजपा के हिंदू राष्ट्र का झांकता हुआ चेहरा साफ दिखाई पड़ता है कि अल्पसंख्यकों को सांप्रदायिक दबंगों की शर्तों और उनकी बनाई अचार संहिता के अनुसार जीना होगा अर्थात वे उनके समान अधिकारों वाले नागरिक नही हो सकते हैं उन्हें अपनी जीवन शैली बहुसंख्यक सांप्रदायिक दबंगों की शर्तों के अनुसार तय करनी होगी। बहरहाल, अटाली गांव के अल्पसख्ंयक, पुलिस सुरक्षा में स्थायी खौफ और सांप्रदायिक हमलावरों द्वारा तैयार शर्तों की कीमत पर मिले शान्तिपूर्ण माहौल में अपने घरों की ओर लौट रहे हैं।     
भाकपा सांसद के साथ बल्लभगढ़ पंहुचे तीन सांसद 
3 जून 2015 की सुबह 11.30 बजे तीन सदस्यीय सांसद दल ने बल्लभगढ़ का दौरा किया और थाने में जाकर पीड़ितो से मुलाकात की। इस सांसद दल में भाकपा के राज्यसभा सांसद डी. राजा, जदयू सांसद अली अनवर अंसारी और कांग्रेस के शादीलाल बतरा शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल में शामिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यसभा सांसद डी. राजा ने इस मौके पर कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां पर सभी कानून का सम्मान करते हैं। इसके बावजूद कि 19 मुकदमों में 82 लोगों को नामजद किया गया है, लेकिन अब तक पुलिस ने किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है। आरोपियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने जिलाधिकारी और पुलिय आयुक्त से भी मुलाकात की और उनसे पूछा कि अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नही हुई और दोषियों को गिरफ्तार क्यों नही किया गया है। उन्होंने कहा कि वे इस मामले में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात करेंगे। अली अनवर अंसारी ने कहा कि शिविर में ठहरे लोगों में सुरक्षा और घर वापसी का विश्वास पैदा किया जाना जरूरी है। उन्हें गांव में भेज कर पुनर्वास की व्यवस्था की जानी चाहिए। अस्पतालों में दाखिल लोगों के इलाज का खर्च सरकार उठाए। उनके नुकसान का मुआवजा दिया जाए। कांग्रेस सांसद शादीलाल बतरा ने कहा कि जल्दी ही दोनों समुदायों के बीच समझौता हो जाएगा और फिर से लोग गांव में पहले की तरह भाईचारे से रहेंगे। सांसदो ने यह भी कहा कि वे किसी को उकसाने अथवा राजनीति करने नही बल्कि शान्ति और सद्भाव कैसे बने इस सुनिश्चित करने आये हैं और यह भी कहने के लिए आये हैं कि दोषियों को सजा और पीड़ितों को इंसाफ मिलना चाहिए। इस प्रतिनिधिमंडल में तीनो सांसदों के अलावा भाकपा के हरियाणा राज्य सचिव दरियाव सिंह कश्यप, मुक्ति संघर्ष से महेश राठी, एआईएसएफ दिल्ली राज्य सचिव कुणाल सुमन, लारेब अकरम भाकपा फरीदाबाद के कोषाध्यक्ष बिश्म्बर सिंह, उधम सिंह, मिथलेश सिंह, दिनेश सिंह के अलावा स्वराज संवाद के रिजवान चैधरी भी शामिल थे। 
गृहमंत्री से मिले सांसद 
इसके बाद दिल्ली वापस आने पर डी. राजा और अली अनवर अंसारी ने 4 जून को सुबह 10.15 बजे केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और उन्हें पूरे हालात से अवगत कराया। दोनों सांसदों ने पीड़ितों की तकलीफ के साथ गांव में बने सांप्रदायिक तनाव और राज्य में बिगड़ते सांप्रदायिक सद्भाव पर भी गृहमंत्री का ध्यान दिलाया। इस पर गृहमंत्री ने हरियाणा के राज्यपाल से बात करने और पूरे मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया।

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