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बुधवार, 8 नवंबर 2017

स्मृति ईरानी से नही मिले सूरत के व्यापारी

सूरतः सूरत के व्यापारियों से 8 नवंबर को राहुल गांधी के मिलने का समय तय था, भाजपा को इसकी भनक लगने पर भाजपा नेतृत्व ने 8 नवंबर को ही सुबह 9.30 बजे स्मृति इरानी से व्यापारियों के मिलने के लिए समय निर्धारित कर दिया। परंतु सोशल मीड़िया पर दिखाई दे रही रिपोर्टों से मालूम चल रहा है कि जीएसटी से खार खाये बैठे  सूरत के व्यापारियों ने स्मृति ईरानी से मिलने से ही इंकार कर दिया और स्मृति ईरानी को सूरत की अपनी बैठक रदृद करनी पडी। 
विभिन्न सूत्रों की माने तो नोटबंदी का एक साल पूरा होने पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सूरत के व्यापारियों से मिलने वाले थे। इसके जवाब के रूप में भाजपा नेतृत्व ने स्मृति को मैदान में उतारने का प्रयास किया और माना जा रहा है कि उन्होंने फेडरेशन आॅफ टेक्सटाईल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सामने इस मुलाकात का प्रस्ताव रखा जिसे सूरत के व्यापरियों के इस संगठन ने पूरी तरह नकार दिया। 
देशभर में विपक्ष नोटबंदी की सालगिरह को काले दिवस के रूप में मना रहा है और इसी दिन राहुल गांधी सूरत के व्यापारियों के जख्मों को सहलाने के लिए उनसे मिलने जा रहे थे। शाम के समय काला दिवस के मौके पर सूरत में राहुल का कैंडल मार्च में शामिल होने का कार्यक्रम तय था! जिसके जवाब के रूप में भाजपा स्मृति ईरानी को मैदान में ला रही थी। परंतु शायद भाजपा भूल गई है कि यह 2014 नही है और ना ही सूरत अमेठी है। जहाँ एक सिटिंग सांसद के खिलाफ कुछ भी बोलकर प्रचार किया जा सके ! यह गुजरात है जहां आपको २२ साल के झूठ को सही ठहरना है! यह वही सूरत है जहां लाखों की संख्या में व्यापा


री मोदी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे और हजारों की संख्या में उन्होंने भाजपा से ना केवल किनारा कर लिया था बल्कि भाजपा के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया था। शायद भाजपा को समझने में अभी समय लगेगा कि सीरियली जुमलेबाजी का दौर खत्म हुआ और भाजपा और संघ का परंपरागत समर्थक भी अब अपने फायदे नुकसान के हिसाब से ही अपनी राजनीति तय कर रहा है। 
बहरहाल, खबर है कि बीते दिनों की टीवी नायिका और हाल की मोदी कैबिनेट की मंत्री स्मृति ईरानी को अपना कार्यक्रम बदलना पड़ा। हालंकि 23 जून 2017 को जब सूरत के कपड़ा व्यापारी मंत्री जी से मिलने दिल्ली गये थे तो कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी उनके प्रतिनिधिमंडल से नही मिली थी। उसके बाद कपडा़ व्यापारियों ने सूरत में ऐतिहासिक हड़ताल की शुरूआत कर डाली थी और वो लाखों की तादाद में सड़कों पर भी उतर आये थे। 

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