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शनिवार, 21 सितंबर 2019

भ्रष्ट पूर्वी दिल्ली नगर निगम पर मोदी सरकार की खामोशी के अर्थ?

मोदी सरकार जीरो टोलरेंस की बात तो करती है परंतु यह जीरो टोलरेंस केवल विपक्षी खेमे और विपक्षी सरकार पर ही लागू होता है। दिल्ली के तीनों नगर निगमों में पिछले एक दशक से भी अधिक समय से भाजपा का कब्जा है और जितना निगमों में भाजपा का कब्जा है उससे कहीं ज्यादा इन निगमों में भ्रष्टाचार का कब्जा है। तीनों निगम भ्रष्टाचार का स्वर्ग जैसे हैं। अवैध निर्माण की बात हो चाहे अतिक्रमण अथवा कूडे से बस्तियों को भर देने की भाजपा शासित तीनों नगर निगम एक से बढ़कर एक हैं परंतु इन सब में सबसे बड़ा चैंपियन है पूर्वी दिल्ली नगर निगम। यह इलाका इस बात का जीता जागता सबूत है कि किस प्रकार भ्रष्टाचारियों के बीच बेजोड तालमेल होता है।
पहले भी हमने इसके कईं उदाहरण दिये हैं। मौजूदा उदाहरण है 9ए के साथ की संपति 9डी के सामने 9बी सीताराम काॅम्पलेक्स मोतीराम रोड शाहदरा दिल्ली-110032। यह संपति पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा डीएमसी कानून के तहत बुक की गयी थी। परंतु लंबा समय बीत जाने के बाद भी इस संपति को डेमोलिश नही किया गया और इस प्लाट पर निर्माण कार्य पूरा हो गया। नगर निगम द्वारा संपति को बुक करने का अर्थ है कि उक्त संपति पर कोई बिजली और पानी कनेक्शन नही दिसा जायेगा और यदि पहले से कनेक्शन है तो उसे काट दिया जायेगा और इसके लिए नगर निगम बिजली और पानी विभाग को सूचित करेगा। उपरोक्त संपति की सूचना भी नगर निगम द्वारा बिजली, पानी विभाग और संबंधित विभागों को किये जाने के बारे में पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा सूचित करना बताया गया था। बावजूद इस कार्रवाई की खानापूर्ति के उपरोक्त संपति पर बिजली पानी के के कनेक्शन लग गये और संपति निर्मित होकर तैयार हो चुकी है।


यह उदाहरण बताता है कि किस प्रकार पूर्वी दिल्ली नगर निगम के इस भ्रष्टाचार में कितने विभाग किस हद तक शामिल हैं। यह सारे विभाग मिलकर शहर में अवैध निर्माण और अतिक्रमण को हवा देने का काम कर रहे हैं। यदि आप शिकायत करें तो यह नक्कारखाने में तूती की आवाज सरीखा होने ज्यादा कुछ भी नही है। इसके बावजूद भाजपा शासित नगर निगम के नेता और उच्चाधिकारी और उनके राष्ट्रीय नेता खामोश हैं और भ्रष्टाचार के संरक्षक होने के बावजूद भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस के झूठे गीत गाते घुमते हैं।

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