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शनिवार, 5 अक्टूबर 2019

डरे हुए लोग

डरे हुए लोग!
जब वे सत्ता में नही होते,
खामोश हो सुप्तावस्था में चले जाते हैं,
डरे हुए लोग
प्रतीकों को ट्रंक में रख भूल जाते हैं,
तब वें सत्ता के प्रति
सनातनी सहमति रखते हैं,
ढ़ोल पखावज केवल समर्थन में बजाते हैं,
डरे हुए लोग !
सत्ता के इशारे से,
अपने संविधान और लक्ष्य बदल लेते हैं
हर जेब में रखते हैं भक्ति के शपथपत्र
डरे हुए लोग
कायर कहे जाने पर भी सहिष्णु दिखते हैं
डरने को वे कुंठा नही विनम्रता बताते हैं
डरे हुए लोग !
जब सत्ता में होते हैं
अपनी कुंठा को शोर बनाते हैं
सच की आवाज दबाते हैं
डरे हुए लोग !
प्रतीकों को हर पल लहराते हैं
मिथकों के इतिहास में बस जाते हैं
झूठ को सच समझाते हैं
डरे हुए लोग !
हर कमजोर को मारते हैं
अपने पराक्रम पर इतराते हैं
विरोध पर गुर्राते हैं
डरे हुए लोग !

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