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रविवार, 31 अक्तूबर 2010

राहुल गाँधी का उल्टा चश्मा

राहुल गाँधी की छात्रो और नौजवानों को लेकर चिंता फिर  चर्चाओं में है और जब भी वो चिंता करते हैं देश को कुछ फर्क पड़े कि नहीं मगर मेरी उत्सुकता और चिंताए बढ़ जाती है ! अबकी बार उनकी नजरे इनायत अलीगढ विश्वविधालय के छात्र संघ चुनावो पर  है ! अब मैं कोई जनवाद विरोधी व्यक्ति नहीं हूँ कि उनकी चिन्ताओ से सकते में आ जाऊ या मेरी घबराहट बढ़ जाए मगर मेरी परेशानी का सबब मेरे दोस्त राहुल के द्रष्टिदोष को लेकर है ! वो जब भी देखते हैं तो दूसरों के घर का  दोष ही देखते हैं ! उन्हें अलीगढ के नौजवानों का दर्द तो दिखाई दे गया जाहिर है जो दिखना भी चाहिए था मगर उन्हें  अपने घर से  कुछ ही किलोमीटर दूर जामिया में कई सालो से  प्रतिबंधित छात्र संघ नजर नहीं  आई ! जहाँ उपकुलपति भी  उनका अपना  है  दिल्ली सरकार भी और  देश का मानव संसाधन  मंत्री भी  उनके घर का वफादार व्यक्ति ही है ! मगर मजाल  किसीकी कि कोई छात्र संघ या चुनावो कि बात कर सके किसी भी छात्र संगठन की हिम्मत नहीं कि अपने संगठन का पोस्टर परचा  या हैंडबिल निकाल सके मगर  राहुल गाँधी  की यही तो अदा है, कि अपने  घर का फासीवाद जनतंत्र और दुसरे कि लाचारी गुनाहे अजीम ! वेसे बटला  हॉउस एनकाउंटर के  बाद जामिया जाना  बड़े वोट बैंक के नुकसान की वजह  भी बन सकता है अब राहुल का युवा अभियान वोट बढ़ाने के लिए है नुकसान के लिए नहीं इसी चक्कर में तो आज़मगढ़ का दौरा भी  रद्द हो गया ! अब घर  की मुश्किलें तो घर की रही  कभी भी ठीक  हो जाएंगी मगर मायावती का घर ठीक करना सबसे जरूरी काम है !
           आजकल दलित राजनीति को दुरुस्त करने में ही बेचारे राहुल  बाबा की सारी उर्जा बर्बाद  हो रही है और यूपी के दलित है कि कम्बख्त उनके दर्द को  समझते ही नहीं हैं अभी तक भी  मायावती से चिपके पड़े हैं पर दिल है कि मानता  ही नहीं बार बार दलितों कि तरफ दौड़ता है क्योंकि जो काम दलितों कि अपनी राजनीति शुरू होने से पहले पांच दशक यानि पचास साल तक नहीं कर पाए वो भी  तो करना है ! अब अपने बुजुर्गों के गुनाहों की सजा राहुल को  क्यों मिले उनका क्या दोष भला उन्हें भी तो गद्दी पर रहते या उससे अलग रहते सत्ता का स्वामी  बनना है ! इसके लिए उनकी कुर्बानियों का भी कोई हिसाब नहीं तमिलनाडु के पारिवारिक भ्रष्टाचार पर खमोशी, उमर से दोस्ती  की खातिर देश की राजनीति में युवाओं की भागीदारी के इस भगवान को कश्मीर में नौजवानों की मौतों पर चुप रहना पड़ रहा है आखिर सरकार में हिस्सेदारी भी है और दोस्त मुख्यमंत्री भी, मेरे दोस्त राहुल  का दलित प्रेम वैसे हरियाणा में भी दम तोड़ देता है, राहुल  मिर्चपुर तो  जाते हैं परन्तु  मिर्चपुर  वालो को  न्याय  कोर्ट  ही दिलवाता  है बरहाल पिकनिक में न्याय ढूँढने वाले सिरफिरे ही होंगे और वो भी अपने राज वाले राज्य में खैर न्याय का उनका ठेका तो विपक्षी राज्यों में है अब हर मुर्ख को तो यह बात समझाई  नहीं जा सकती है ! अब बाबा ऐसी ऐसी बातों पर ध्यान देंगें तो एक भी राज्य में सरकार नहीं  बचेगी ! ताजा मामला तो महाराष्ट्र का है बताओ इन छोटे मामलो पर क्या सरकार ख़त्म कर देनी चाहिए ऐसे होने लगा तो  दिल्ली की सरकार तो खेलों के बाद ही भंग कर देनी चाहिए थी हजारों करोड़ का मामला जो था मगर राहुल  ने  तो चुप रह कर क़ुरबानी दी !
                 खैर राहुल की कुर्बानियों की  सूची उनके संघर्षों से बहुत लम्बी है ! उन्होंने देश के आम नौजवानों के लिए भी कितना कुछ किया है उनकी टीम में ही देख लें सचिन पायलट, जतिन प्रसाद, दीपेन्द्र हुड्डा, उमर, मिलिंद देवड़ा, नवीन जिंदल सचमुच उनके आम नौजवान दोस्तों की लिस्ट इतनी लम्बी है कि राम रे राम ! उनकी दरियादिली देखिये कि वो तो अजीत सिंह के बेटे जयंत को भी अपनी टीम में रखना चाहते थे मगर वो आम आदमी जैसे बनना ही नहीं चाहते  कोई  क्या करे ! अब उनकी एक खास टीम मेम्बर फेसबुक पर मेरी दोस्त मीनाक्षी नटराजन  हैं उनकी फेसबुक देखिये प्रोफाइल में राहुल का ही फोटो दिखाई देगा मैंने उनसे एक दिन  पूछा भी था  कि आप इसमें कहाँ हैं मगर आज तक  उनका जनवादी और गैर जनवादी कोई जवाब नहीं आया ! खैर यह सबका जनवादी हक है कोई अपने घर में राहुल कि फोटो लगाकर पूजे हमारी तरक्की का आखिर कुछ तो मूल्य होता ही है, भक्ति ही सही ! ऐसे में आने वाले कल के और आज के भी वास्तविक जनवादी और आम आदमी के नेता को युवराज कहें तो बुरा तो लगेगा ही ! अब इतने जनवादी नेता पर कोई सामंती  तोहमत कैसे लगा  सकता है ! 

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