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बुधवार, 3 नवंबर 2010

राहुल गाँधी के आदर्श की राजनीति या राजनीति का आदर्श

राहुल गाँधी भारतीय राजनीति में एक चमत्कारिक नेता हैं और वो बोलकर जितने चमत्कार करते हैं चुप रह कर उससे भी ज्यादा चमत्कार करते हैं ! उनके चमत्कार लाजवाब होते हैं क्योंकि उनमे विविधतता होती है ! विविधतता उन चमत्कारों में जो वो अपनी संवाद अदायगी से पैदा करते हैं और उससे उलटे  विविधतता  उन कामो में जो बातों से कतई मेल नहीं खाते हैं ! उनका चमत्कार उनके संवादों और कामो से भी ज्यादा उनकी ख़ामोशी से पैदा होता है ! आजकल उनका ये चमत्कार अपने उफान पर है  और  ये चमत्कारों का उफान चुनावों की गर्मी के साथ अपने पूरे सरूर में दिखाई देता है ! हर रोज़ वो कहीं भी कभी भी कोई डायलोग छोड़ देते हैं तो मीडिया लपकर फ़ौरन उसको खबर बना लेता अब ये आज के दौर का बाजारी मीडिया करे भी तो क्या व्यापर के अपने ही नियम होते हैं ! खबर वही सही जिसका बाज़ार में  भाव हो अब भूख बेकारी से मौतों में तो किसी को गाँधी परिवार के ग्लेमर का स्वाद आने से रहा ! कम्बख्त मुफ़लिसी के गालों में भी गड्ढे पड़ा करते या वो किसी गाँधी खानदान की चारदीवारी में पला करती तो उसको भी किसी अख़बार के मुख्य पेज या टीवी के परदे पर जगह मिला करती !
अब गाँधी परिवार को फिर से बाबरी की शाहदत पर दर्द का अहसास हो रहा है उनके आंसू रोके नहीं रूक रहे उधर राहुल को भी गरीबो की  ताकत का एहसास तो पहले से ही था मगर उन्हें वो फिर याद आने लगे हैं ! बात सही भी है बुरे वक्त में शहीद हुआ खुदा का घर काम  आएगा या दूर छिटका गरीब और गरीब तो होता ही इतना मासूम है  कि वो सबके काम आता है मगर उसके कोई काम नहीं आता ! अब यही तो राहुल भैया कि नयी और प्रयोगात्मक राजनीति है जब भी कमजोर हो तो कमजोरों का सहारा लो और उसके लिए सदा नये नये संवाद और राग छेड़े रहो ! जो कहो मुहं  से कहो काम में क्या रखा है संकट हर तो गरीब है दलित है और टूटी हुई मस्जिद है !  यही है नयी राजनीति आदर्श राजनीति वैसे इस आदर्श शब्द पर  ज्यादा जोर  देना ठीक नहीं है बड़ी मुश्किल से ये  भाषण की स्क्रिप्ट से  हटा  है वर्ना तो इन  कम्बख्त लिखाड़ो को इतनी भी तमीज़  नहीं की कब क्या लिखना  चाहिए !
       बहरहाल राहुल देश कि सियासत को बदलना चाहते हैं मगर इन अपनों को क्या कहें जो राजनितिक साजिश का आसानी से शिकार हो जाते हैं और किसी ना किसी घोटाले में फंस ही जाते हैं वर्ना पूरा देश जनता है कि कांग्रेस की तो ऐसी परम्परा कभी है ही नहीं ! अबकी बार भी देख ले ये आदर्श घोटाला तो शिवसेना और बीजेपी ने तैयार किया था नहीं तो सुरेश प्रभु इसमें क्या कर होते किया उन्होंने मिलकर मासूम कांग्रेसियों को इसमें फंसा दिया ! ऐसे मैं बेवकूफ लोग उम्मीद करते हैं कि देश के भविष्य कि एकमात्र आशा राहुल गाँधी इस मुद्दे पर बोल कर देश का कीमती समय बर्बाद करेंगें ! आप सोच कर बताएं राहुल ने कभी भी इस तरह के बेकार सवालों पर कुछ कहा है जो अब कहेंगे अरे भाई हजारो करोड़ कमाने वाले मधु कोड़ा पर उन्होंने कोई एक  शब्द मुंह से नहीं निकलने दिया और छोडिये कल की बात ए राजा के बने रहने पर सुप्रीम कोर्ट तक नाराज हो गया  तब कुछ इन्होने कुछ ना खुद कहा ना किसी को कहने दिया और  घोटालो की बात करते हैं यदि घोटालो  से हमारा कुछ बिगड़ता तो अब तक हमारा तो नामों निशान ही मिट जाता ! दरअसल घोटाले और भ्रष्टाचार अब देश और राजनीति  में कोई मुद्दा ही नहीं है मुद्दा तो विकास है ! यदि विकास नहीं होगा तो भ्रष्टाचार नहीं होगा और भ्रष्टाचार नहीं होगा तो विकास नहीं होगा अब राहुल इन विकास विरोधी लोगो का जवाब क्यों देतें फिरें ! कुछ लोगो  को तो कुछ रचनात्मक काम आता ही नहीं है ना उनकी जिंदगियों में  एडवेंचर  ही है  इसीलिए वो ना कभी दालतों के घर नहाते  है ना खाते है ना सोते है ना ही  उन्हें शहीद हुई  मस्जिद की फ़िक्र है ना वो कभी गरीबो की बात करते हैं ! उन्हें फ़िक्र है तो आदर्श जैसे छोटे मोटे घोटालों की ! आइए ऐसी बातों को छोड़ कर राहुल के हाथ मजबूत करें बातें  और सिर्फ बातें करें बातें   कलावती की बुंदेलखंड की दलितों की  और केवल उत्तर प्रदेश  के दलितों की वामपंथियों के गरीबों आदिवासियों की विपक्षी राज्यों के छात्र नौजवानों की और  भूखों  की ! यही आदर्श राजनीति है  चोर बेईमानो  और भ्रष्टाचारियों की बातों  से  ना वोट मिलते  हैं ना शक्ति ! इसीलिए राहुल की राजनीति ही असली राजनीति है राहुल   और उनकी राजनीति को सलाम !                       

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