महेश राठी
निगमीकृत विकास पर आधारित सकल घरेलू उत्पाद के दावे जितने चमत्कारिक दिखाई देते हैं, उनकी सचाई उतनी ही चौंकाने वाली है। वर्तमान समय में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के आंकड़ों को अर्थव्यवस्था के विकास के तौर पर पेश किया जा रहा है, जबकि सकल घरेलू विकास वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के आकलन को दर्शाने वाला मापदंड भर है। किसी भी अर्थव्यवस्था का विकास एक सापेक्ष अवधारणा है। एक ओर उदारवाद के पैरोकार अर्थव्यवस्था की तेज वृद्धि के गुणगान में व्यस्त हैं, तो दूसरी ओर महंगाई पर अंकुश लगाने की सरकार की निरर्थक कोशिशें एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही हैं।
उदारवादी विषमताओं के साक्षी और शिकार केवल तीसरी दुनिया ही नहीं, बल्कि विकसित दुनिया के देश भी हैं। इन्हीं सवालों पर विचार करने और विकास के जटिल विरोधाभासों को समझने के लिए फ्रांसीसी राष्ट्रपति सरकोजी ने नोबल विजेता पूंजीवाद के प्रखर पक्षधर प्रो स्टिगलिट्ज की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने सकल घरेलू उत्पाद से विकास के आकलन और उदारवादी विकास के अंतर्विरोधों को उजागर किया था। उनके अनुसार, यदि किसी जगह ट्रैफिक जाम हो जाए, तो वाहनों के लगातार स्टार्ट रहने से ईंधन की मांग बढ़ जाती है, जिससे सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होती है। परंतु इस बढ़ी मांग से समाज का विकास नहीं होता, बल्कि प्रदूषण बढ़ने से स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भों में इसे आसानी से समझा जा सकता है। यदि हम चीनी उद्योग का उदाहरण लें, तो विकास के नाम पर पूंजी के इस छल को समझ सकते हैं। पिछले साल चीनी उद्योग के मुनाफे में भारी उछाल उत्पादन में बढ़ोतरी या लागत में कटौती से नहीं, बल्कि चीनी के दामों में आए कई गुना उछाल के कारण था। स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध 33 चीनी कंपनियों ने दिसंबर में खत्म तिमाही में अपना मुनाफा 901 करोड़ कर लिया, जो 2008 की इसी तिमाही में महज 30 करोड़ था। विशेषज्ञों के अनुसार अगर गैर सूचीबद्ध और सहकारी निगमों का मुनाफा भी जोड़ लिया जाए, तो यह इससे दोगुना हो जाएगा।
विडंबना यह है कि सकल घरेलू उत्पाद की बढ़ोतरी कई बार उत्पादन में बढ़त को अपने लिए अहितकर समझती है। मसलन, मार्च 2010 में जब चीनी उत्पादन के आंकड़ों की गणना करते हुए विशेषज्ञों और कृषि मंत्रालय ने यह उम्मीद जाहिर की कि पिछले साल की तुलना में इस वर्ष चीनी का उत्पादन बढ़कर 1.7 करोड़ टन तक पहुंच जाएगा, तो सट्टेबाजी से मुनाफा कमाने वाली चीनी निगमों में घबराहट फैल गई, जिससे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों के दाम आठ से 11 फीसदी तक नीचे गिर गए।
सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की कमोबेश यही स्थिति खुदरा बाजार में भी दिखाई देती है। खाद्यान्नों में 3.2 फीसदी की वार्षिक वृद्धि रहने के बावजूद भारतीय खुदरा व्यापार में 2004-05 के 35,000 करोड़ के मुकाबले 2010 में 1,11,000 करोड़ तक की बढ़ोतरी हुई। यह बढ़ोतरी खुदरा व्यापार में किसी क्रांतिकारी परिवर्तन या उत्पादन में उछाल से नहीं, कीमतों में भारी बढ़ोतरी से है। यदि चीनी या दालों के दाम राजग के सत्ता में आने से पहले की स्थिति में पहुंच जाएं, तो शर्तिया सकल घरेलू उत्पाद का यह गुब्बारा औंधे मुंह गिरेगा। क्योंकि राजग सरकार ने ही आवश्यक वस्तु अधिनियम एवं वायदा कारोबार के नियमों में बदलाव किया था और पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में छह बार बढ़ोतरी की थी। उसी ने महंगाई से सकल घरेलू उत्पाद में उछाल के इस सूत्र की शुरुआत की थी। विकसित देशों की मांग पर निर्भर सूचना प्रौद्योगिकी से लेकर निर्माण और खनन उद्योग तक, सभी के विकास की कहानी का यथार्थ कमोबेश यही है।
मुक्त व्यापार के पैरोकार इस विकास से इतने अभिभूत हैं कि गरीबों की बढ़ती संख्या, घटती वास्तविक आय, घटते रोजगार अवसर, आमजन का जनवादी आंदोलनों से हिंसा की ओर बढ़ना और बढ़ती आर्थिक विषमताओं जैसी घटनाएं भी उनका ध्यान नहीं खींच पा रही हैं। सकल घरेलू विकास की ऊंची दर के दावे जहां उदारीकरण के समर्थकों को मदहोश किए हुए है, वहीं बढ़ते दामों पर टिका यह विकास आर्थिक और सामाजिक दुष्प्रभाव छोड़ रहा है। इस मॉडल में पूंजी संचय को प्राथमिकता देने से समाज के बड़े हिस्से की खाद्य सुरक्षा खतरे में है।
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Asalaam Alekum sir,
जवाब देंहटाएंMein aapkee soch ko salaam karta hu aur Allah se duwa karta kee aapko wo sab de jo chate hi, mein Soudi arab mein hu aur aapke dil mein chupi tamana ko aake article mein pad sakta.
sir aapne brain ko relaxe dijein aur God par chod de jeiy jo hoga achaa hee hoga belive me..
Waqt aa chuka ab nahee kisi kee maag ujdgee nahee masoom logo ka khool bahegaa, dulaat ke laalchee Bhadiye ko khanne ke ke liye ek Adamkhor ne es yug mein janm le liye hi God ne avtaar bhej diya hi munni baba ke tapsya kaam aa gayee hi.......alibaba ab royegaaa INSHA ALLAH