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गुरुवार, 17 मार्च 2011

सोमालिया का खौफ



महेश राठी
विकास की भूमंडलीय अवधारणा के चमत्कार भी अनोखे और अनूठे हैं। वह मुनाफे के लिए व्यवस्था और स्थिरता से ही नहीं, अराजकता से भी आमदनी करना जानती है। अफ्रीका के उत्तर पूर्वी भाग में स्थित, जिसे ‘अफ्रीकी हॉर्न’ के तौर पर जाना जाता है, 98 लाख की आबादी वाला सोमालिया इसी अराजकता से आमदनी की व्यवस्था का सजीव उदाहरण हैं। अपनी अराजकता और किसी को भी निशाना बना लेने के कारण सोमालियाई जलदस्यु फिर से चर्चा में हैं।


पहली जुलाई 1960 को आजाद हुआ सोमालिया 1991 तक मेजर जनरल मोहम्मद सैयद बेरे के नेतृत्व में एक समाजवादी देश था। 1991 में विद्रोहियों ने जनरल बेरे की सत्ता को उखाड़ फेंका, परंतु इस विद्रोह ने देश को उथल-पुथल और गुटबाजी के नए रास्ते पर धकेल दिया। सोमालिया एक सरकारविहीन घोर अराजकता का शिकार देश है। सोमालिया के उत्तरी भाग पर सोमाली नेशनल मूवमेंट नामक गुट का कब्जा था, तो राजधानी मोगादिशु सहित अधिकतर दक्षिणी भाग पर यूनाइटेड सोमाली कांग्रेस नामक गुट काबिज था। दोनों गुटों में निरंतर संघर्ष चलता रहा और नतीजा निकला अस्थिरता, युद्ध, हत्याएं और भुखमरी के रूप में। वर्ष 1992 में संयुक्त राष्ट्र ने स्थिति को काबू करने के लिए दखल दिया, परंतु हालात में कोई आशानुकूल सुधार नहीं हो पाया। केन्या में दर्जनों सोमालियाई गुटों ने बैठक करके 2004 में ट्रांजिसनल फेडरल सरकार का गठन किया, परंतु 2006 तक आते-आते गुटीय झगड़ों के कारण यह सरकार भी अस्थिरता का शिकार बन गई। ट्रांजिसनल फेडरल सरकार और इसलामिक कोर्ट यूनियन के बीच शुरू हुए झगड़े ने देश को फिर से गृहयुद्ध और नए सामाजिक संघर्ष में धकेल दिया।
सोमालिया में स्थिर सरकार के दिनों और वर्तमान अराजकता के माहौल में तुलना करें, तो परिणाम आश्चर्यजनक दिखाई देंगे। 1991 तक सोमालिया में संचार माध्यमों के नाम पर एक सरकारी टेलीफोन सेवा और कुछ गिने-चुने लोगों के पास टेलीफोन कनेक्शन थे, परंतु आज अराजकता के इस दौर में वहां अफ्रीका की बेहतरीन संचार व्यवस्था और उसे नियंत्रित करने वाली कम से कम दस संचार कंपनियां कार्यरत हैं। नब्बे के दशक तक बिजली की कमी के शिकार सोमालिया के एक रेगिस्तानी कस्बे गालकासियो को ही देखें, तो वहां भी एक निजी नियोक्ता पावर जेनरेटर से सारे कसबे को बिजली की आपूर्ति करता है। स्थिर सरकार गिरने के बाद दर्जनों अखबार, टेलिविजन और पत्रिकाएं अलग-अलग शहरों से प्रकाशित हो रही हैं। 1990 तक हवाई यात्रा के नाम पर एक सरकारी विमान सेवा थी और उसका एक मात्र जहाज उपलब्ध था, परंतु वर्तमान समय में 15 एयर लाइंस और उनके 60 से ज्यादा विमान सोमालिया में हैं। हालांकि सड़क यातायात अब भी एक मुश्किल काम है, जगह-जगह लड़ाकू आतंकी संगठन रास्ता रोककर पैसे की उगाही करते हैं। जहां पांच सौ से एक हजार किलोमीटर तक सड़क मार्ग से जाने पर आपको 10 से 20 बैरियरों पर विभिन्न गिरोहों को अपने सफर की कीमत चुकानी पड़ेगी।
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार गृहयुद्ध व अराजकता की स्थिति के कारण सोमालिया दुनिया का एक ऐसा गरीब देश है, जो लगातार गरीब ही होता जाता है। परंतु निजी कंपनियों और धनवान लोगों ने इस फैलती अराजकता से भी आमदनी का रास्ता निकाल लिया है। इन निजी नियोक्ताओं के वहां कारोबार करने में सरकारी अड़गा नहीं हैं। इन्हीं सुविधाओं का लाभ समुद्री डाकुओं को ऊर्जा और लूट की नई तकनीकें मुहैया कराता है। बेशकसमुद्री डाकुओं के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका का युद्धपोत तैनात हो, यूरोपीय संघ ने डाकु विरोधी बल का गठन किया हो या फिर भारतीय नौसेना भी उनके खिलाफ सक्रिय हो। परंतु समुद्री डाकुओं के पास दुनिया की बेहतरीन संचार व्यवस्था, पश्चिम एशिया से मिलने वाला ईंधन और अन्य सुविधाएं तो हैं ही।
दरअसल, सोमालिया इस निजी विकास का एक विचित्र मॉडल है, जो सरकारी अड़चनें खत्म करना चाहता है, और जिसे राज्यतंत्र की बाधाएं नहीं, अराजकता सुहाती है और जो सामाजिक जिम्मेदारियों से मुंह चुराता है। उसके लिए अराजकता एक सुविधा है और आसानी से अपना माल और उत्पाद बेचने का उन्मुक्त माहौल भी।
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