आम औ खास
यूँ, सुनते हैं सबके सवाल वो
शहर में इशारा ये,
तो क्या ?
कि चुप रहिये !
उन्हें सवालों से डर कैसा,
क्या करें, मगर
इस दस्तूर को
सवाल ?
सिर्फ संसद में,
सड़क पर बस चुप रहिये !
कहने को,
उनके हलक में भी है
इन्कलाब ?
क्या करे
गले कि इस अटकन को
बस और बस चुप रहिये !
किसी के रौंदने से मरता,
कभी का मर जाता
जिन्दा हूँ अभी तक ?
थोडा रवायत पर टिका
बस बस और बस कि चुप ही रहिये !
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