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रविवार, 28 अगस्त 2011

अन्ना बेमिसाल अनशन पर आओ फिर अगले साल



जन लोकपाल से कम कुछ भी नहीं ! यही मांग लेकर अन्ना ने अपना आन्दोलन शुरू किया था मगर हुआ क्या जन लोकपाल लागु हुआ क्या ? अन्ना टीम की मांग सरकारी लोकपाल वापस लेने की थी वापस हुआ क्या ? प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने की बात थी हुआ क्या ? अन्ना टीम अड़ी हुई थी ३० अगस्त तक जन लोकपाल पारित हो वर्ना जेल भरो आन्दोलन शुरू होगा ! जन लोकपाल लागू हो गया क्या ? तीन मांगे जिन पर संसद ने बहस की उनको सिर्फ स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा गया है गंभीरता से ध्यान देने के लिए ! अब इन मुद्दों पर स्टैंडिंग कमेटी फैसला करेगी जिसके मुखिया अभिषेक मनु सिंघवी हैं और अन्ना के लोकपाल को गैर कानूनी बताने वाले लालू यादव इसके महत्वपूर्ण सदस्य हैं साथ ही वो मुलायम भी इस कमेटी में है जिनके नाम पर देश के लोकतंत्र के नए मार्गदर्शक अरविन्द एतराज़ जता चुके हैं और उस कमेटी में लोकपाल पर निर्णय होगा ! मुझे इस जीत का अर्थ समझ नहीं आ रहा है ! दरअसल यह आन्दोलन इसी अंधी गली पर आ कर खड़ा हो गया था जहाँ से टीम अन्ना को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था और अन्ना की जान पर अलग से खतरा था ! अब खाली हाथ जीत के जश्न के अलावा इस टीम अन्ना की कोई उपलब्धि नहीं है, हा एक और है अगली बार फिर मोर्चे पर लड़ाने के लिए सुरक्षित अन्ना हजारे ! 
                   दरअसल इस आन्दोलन का एक सकारात्मक पहलु यह कि लोगो ने सड़क पर आ कर लड़ने का जज्बा दिखाया है मगर अगली बार फिर टीम अन्ना आकर कहेगी कि उसके साथ धोखा हुआ है मगर वास्तव में यह धोखा किसके साथ हुआ है टीम अन्ना के या उन मासूम लोगो के विश्वास के साथ जो पूरी प्रतिबद्धता के साथ अन्ना आन्दोलन में शामिल थे ! आखिरी कमाल अरविन्द केजरीवाल ने अन्ना का अनशन तुड्वाते हुए किया ! अरविन्द ने ग्राम स्वराज का अपने ढंग का विचार पेश कर दिया ग्राम पंचायते अब देश का कानून बनाया करेंगी और अपने आन्दोलन गाइड अरविन्द की बात को दोहरा दिया ! अन्ना अब ग्राम स्वराज लायेंगे वही अन्ना जिनके अपने गाँव में पिछले २५ सालो से ग्राम पंचायत का चुनाव नहीं हुआ है ! मेरी फ़िक्र सिर्फ इतनी सी है की देश की जनवादी प्रगतिशील निक्कमी ताकते अभी भी नहीं जागी और लड़ाई के मैदान में नहीं उतरी तो देश और हमारा  जनवादी राजनीतिक ढांचा कोर्पोरेट और एनजीओ के नए गठजोड़ के चंगुल में फंस जायेगा ! व्यवहारिक भ्रष्टाचार से निकाल कर एक खतरनाक नीतिगत भ्रष्टाचार के चंगुल में !

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