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सोमवार, 30 जनवरी 2012

जनवाद और कट्टरपंथ के संघर्ष की नव उदारवादी पटकथा

महेश राठी 


बहुरंगी जनवादी अरब क्रांतियों के बाद अरब देशों में संपन्न चुनावों के नतीजे बेहद एकरंगे नजर आ रहे हैं। आजादी, जनवाद, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता के लुभावने नारों से शुरू हुए जनांदोलनों की परिणति कट्टरपंथी इस्लामिक शक्तियों के राजनीतिक प्रभुत्व में हो रही है। ट्यूनीशिया के बाद अब मिस्र में भी कट्टरपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड की राजनीतिक शाखा फ्रीडम एंड जस्टिस पार्टी ने चुनावों में सफलता हासिल कर ली है। अरब दुनिया के इतिहास में हाल तक अपनी विवादास्पद भूमिका के कारण चर्चित रहा मुस्लिम ब्रदरहुड बेशक कितना ही लोकतांत्रिक और आधुनिक होने का दावा करे मगर यह निर्विवाद सत्य है कि उसकी आधुनिकता उसकी सांप्रदायिक संर्कीणता का एक मुखौटा भर है। अभी तक मुस्लिम ब्रदरहुड की धर्मनिरपेक्षता से लेकर लैंगिक समानता की परिभाषाओं और इस्लामिक शरीया कानून पर आधारित एक अलग इस्लामिक अरब दुनिया के लिए प्रतिबद्धताओं में कुछ भी नहीं बदला है। अब मुस्लिम ब्रदरहुड की प्रतिबद्धताओं और अरब दुनिया की नवोदित मध्यवर्गीय आकांक्षाओं का विरोधाभासी संबध जहां मध्यवर्ग को उसके महत्वाकांक्षी क्रांति के सपने के चोरी हो जाने के अहसास से भर रहा है तो वहीं कट्टरपंथी महत्वाकांक्षाओं से टकराव की नई जमीन भी तैयार कर रहा है। 

जनवादी आकांक्षाओं और कट्टरपंथी महत्वाकांक्षाओं का यह नया संघर्ष मध्यपूर्व के लिए नई अस्थिरता का दौर शुरू कर रहा है। नई अस्थिरता या वृहत्तर मध्यपूर्व की संकल्पना कोई अनायास या स्वाभाविक घटना भर नहीं बल्कि बरसों पहले तैयार एक एंग्लो-अमेरिकन रणनीति का हिस्सा है, जिसकी सार्वजनिक अभिव्यक्ति पश्चिमी रणनीतिकारों द्वारा गाहे-बगाहे होती रही है। 2006 में तेलअवीव में अमेरिकी विदेश सचिव कोंडालिजा राइस ने इस नई वृहत्तर मध्यपूर्व की संकल्पना को प्रभावी ढ़ंग से दुनिया के सामने पेश की। कई साल की कोशिश से तैयार नए मध्यपूर्व की योजना के केंद्र में एंग्लो-अमेरिकन-इस्राइली सैनिक और रणनीतिक भूमिका ही थी। मोरक्को से लेकर अफगानिस्तान तक अशांति, अस्थिरता और हिंसा में डूबे नए मध्यपूर्व की वाशिंगटन में तैयार यह परियोजना सबसे पहले कोंडालिजा राइस ने तेलअवीव में सार्वजनिक की थी। 

दरअसल इस एंग्लो-अमेरिकी रणनीति का मुस्लिम ब्रदरहुड जहां पुराना औजार रहा है वहीं जनवाद के लिए अरब देशों में सक्रिय गैर-सरकारी संगठनों से भी अमेरिकी संगठनों और प्रशासन के करीबी रिश्ते रहे हंै। अमेरिका ने नेशनल ऐंडोमेंट फॉर डेमोक्रेसी नामक संगठन और फ्रिडम हाउस का उपयोग अरब दुनिया में जनवादी आंदोलनों को मजबूत करने के लिए किया। अरब दुनिया में इन आंदोलनकारी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित और प्रेरित करने में उपरोक्त अमेरिकी संगठन और वाशिंगटन स्थित फ्रिडम हाउस की अहम भूमिका रही है और इस भूमिका का निर्देशन लगातार अमेरिकी प्रशासन द्वारा किया जाता रहा है। यही कारण था कि ऐसे ही जनवाद चाहने वाले मिस्री प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी मई 2009 में स्वयं हिलेरी क्लिंटन ने फ्रिडम हाउस में की थी। अरब में जनवाद के लिए सक्रिय गैर-सरकारी संगठनों और अमेरिकी प्रशासन की यह जुगलबंदी केवल मिस्र तक सीमित नहीं है वरन इसके तार यमन, सीरिया, इराक, जोर्डन और सऊदी अरब सहित पूरे अरब जगत में फैले हैं और केवल अरब जगत ही नहीं नेशनल ऐंडोवमेंट फॉर डेमोक्रेसी का यह अभियान लैटिन अमेरिका व दक्षिण एशिया सहित पूरे संसार में जारी है। एंग्लो-अमेरिकी रणनीति में नेशनल ऐंडोमेंट फॅार डेमोक्रेसी की सार्थकता संगठन के पहले मुखिया एलेन विंस्टिन के एक बयान से उजागर हो जाती है। विंस्टिीन ने 1991 में दिए अपने साक्षात्कार में कहा था कि आज की दुनिया में एनईडी की वही भूमिका और काम है जो आज से 25 साल पहले सीआईए का था। 

एंग्लो-अमेरिकी रणनीति में मुस्लिम ब्रदरहुड की हमेशा से एक अहम भूमिका रही है। पचास के दशक में इसी मुस्लिम ब्रदरहुड का उपयोग घोर साम्राज्यवाद विरोधी मिस्र सरकार को गिराने के षड्यंत्र और राष्ट्र प्रमुख नासिर की हत्या के प्रयास में प्रयोग किया गया। नासिर की हत्या की इस असफल कोशिश के बाद मुस्लिम ब्रदरहुड को मिस्र में प्रतिबंधित करते हुए उसे देश से बेदखल कर दिया गया। इसके बाद मुस्लिम ब्रदरहुड का ठिकाना सीरिया में था जहां अस्सी के दशक में वाम रुझानों वाली बाथ पार्टी में बगावत कराने और सरकार और बाथ पार्टी को वर्तमान दक्षिणपंथी आकार देने में अहम भूमिका अदा की। अल कायदा से लेकर हिज्बुल्लाह तक दुनिया के दुर्दांत आतंकी संगठनों की स्थापना में मुस्लिम ब्रदरहुड और सीआईए के गठजोड़ की भूमिका भी सर्वविदित है। वर्तमान अरब दुनिया के लगभग हरेक देश बहरीन, सीरिया, यमन, ईराक, ईरान, अलजीरिया, ुडान, संयुक्त अरब अमीरात, फिलिस्तीन आदि में मुस्लिम ब्रदरहुड की सक्रिय एवं मजबूत शाखाएं कट्टरपंथी रुझानों को हवा देने का काम कर रही हैं। मुस्लिम ब्रदरहुड की तमाम आलोचनाओं के बावजूद अमेरिका और मुस्लिम ब्रदरहुड का संबंध कायम है। अमेरिका के खिलाफ सभी तरह की बयानबाजी और अभियान के बावजूद अमेरिका समर्थित इराक की संयुक्त गठबंधन सरकार में मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता तारिक अल हाशिमी उप राष्ट्रपति हैं। 2010 में मुस्लिम ब्रदरहुड के एक बड़े नेता अल जवादेर ने अमेरिका की यात्रा की थी। इसके अलावा 2011 में भी मिस्र में अमेरिकी राजदूत ने मुस्लिम ब्रदरहुड के मिस्र स्थित मुख्यालय में जाकर संगठन के नेतृत्व से बातचीत की। दरअसल अमेरिकी रणनीतिकारों की यही विशेषता है कि वे दुनिया के बदलते हुए मिजाज और समीकरणों से भी अपने हितों की रक्षा की योजनाएं तैयार कर लेते हैं। 

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