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गुरुवार, 14 नवंबर 2013

कार्पोरेट, संप्रदायवाद और राजसत्ता गठजोड़ के झूठ का प्रचारक
महेश  राठी
आम चुनावों के नजदीक आने के क्रम में संघ परिवार के फासीवादी मंसूबे मानों अपनी पूरी ताकत और आक्रामकता के साथ भारतीय राजनीतिक परिवेश  पर छा जाना चाहते हैं। भारत के इस फासीवादी संस्करण की राजनीतिक आकांक्षाओं का ही परिणाम है कि संघ परिवार और उसका नायक धर्मांधता से लेकर राजनीतिक घृणा फैलाने के सारे हथकण्डे अपना रहा है। संघ के इस फासीवादी अभियान में एक विशेष  राजनीति को निशाना बनाकर लगातार झूठ बोलने की गोएबेल्सवादी राजनीति है तो एक संप्रदाय विशेष के खिलाफ उन्माद भड़काने के लिए तैयार विभाजक रणनीतियों के साथ ही तथ्यों और इतिहास को तोड़ मरोड़कर जनता के सामने पेश करने की प्रचार कला का उपयोग भी।
भाजपा नामक राजनीतिक संगठन को हाशिये पर धकेलकर उस पर काबिज हुए संघ परिवार की इस फासीवादी रणनीति और राजनीति को उसका उत्पाद नरेन्द्र मोदी अंजाम देने की कोशिश में लगातार झूठ और मनगंढ़त तथ्यों का सहारा ले रहा है। हिटलर के प्रचार मंत्री गोएबोल्स के झूठ को सौ बार बोलकर सच कर देने के तथाकथित नियम को लगता है कि फासीवाद का संघी संस्करण मोदी नए अवतार में पेश कर रहा है। सौ झूठ बोलो और लगातार बोलो, तो वह नया इतिहास बना सकता है। पिछले दिनों में जिस निरंतरता से आरएसएस के इस फासीवादी नायक ने लगातार तथ्यों को तोड़ मरोड़कर लोगों के सामने पेश  करने की कोशिश की है, उससे संघ परिवार की राजनीति को साफतौर पर समझा जा सकता है।
उत्तराखण्ड़ से 15000 गुजरातियों को बचाने का दावा
उत्तराखण्ड़ में हुई प्राकतिक तबाही के बाद आपदाग्रस्त राज्य का दौरा करने के बाद संघी प्रचार तंत्र ने तत्परता से फैलाया कि मोदी उत्तराखण्ड़ आये और 15000 गुजरातियों को बचाकर ले गये। जब मीड़िया में गुजरात के मुख्यमंत्री की इस सुपरमैनी करतूत का मजाक उड़ाया जाने लगा तो तीन दिन बाद भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि मोदी ने कभी ऐसा दावा नही किया और यह मीड़िया की बनाई गयी खबर है। हालांकि जिस पत्रकार आनन्द सूनदास ने सबसे पहले इस इस समाचार को छापा था उसने खुलासा किया कि 15000 लोगों को बचाने की इस खबर का दावा हलद्वानी में भाजपा के प्रवक्ता अनिल बलूनी ने किया था और जिस समय बलूनी यह दावा कर रहे थे तो उस समय भाजपा के राज्य अध्यक्ष तीर्थ सिंह रावत भी मौजूद थे।
सोनिया गांधी के इलाज पर खर्च पर किये गए दावे पर
मोदी ने एक रैली के दौरान हाथ में एक फाइल हिलाते हुए दावा किया कि पिछले 10 वर्षों के दौरान यूपीए चैयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी के विदेशी दौरों और इलाज पर सरकार ने 1880 करोड़ रूपये खर्च किये। मोदी ने अपनी बात को प्रमाणिक सिद्ध करने के लिए कहा कि यह सूचना आयोग द्वारा दी गई सूचना है जिसे हिसार के एक रमेश वर्मा ने प्राप्त किया था। सूचना आयोग द्वारा ऐसी किसी सूचना से इंकार कर दिये जाने पर उन्होंने एक अखबार का हवाला देते हुए बताया कि रमेश वर्मा ने यह सूचना दी थी, जिस पर रमेश वर्मा ने सामने आकर साफ कर दिया कि उन्होंने ऐसी सूचना के लिए आवेदन तो किया था मगर उन्होंने कभी भी सोनिया गांधी पर 1880 करोड़ रूपये खर्च होने की बात नही कही है। मोदी अथवा भाजपा ने अपने ऐसे झूठ पर कभी कोई माफी नही मांगी।
महिला विकास पर मोदी के दावे
नई दिल्ली में फिक्की की महिलाओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने गुजरात में महिला विकास और महिला सशक्तिकरण के बड़े बड़े दावे किए जो वास्तविकता से कोसो दूर थे। मोदी ने कहा कि 18 वीं सदी में लड़कियों को दूध में डूबोकर मार दिया जाता था और आजकल उनकी गर्भ में ही हत्या कर दी जाती है। परंतु इसके साथ ही उन्होनें दर्शाया कि गुजरात बच्चियों को बचाने के मामले में एक चैंपियन राज्य है। जबकि हकीकत इसके एकदम विपरीत है। जहां देश में प्रति हजार पुरूषों पर महिलाओं की औसत संख्या 940 है तो वहीं गुजरात उससे काफी नीचे महज 918 की संख्या पर ही है और इस सूची में वह देश में 20 वें पायदान पर ही खड़ा है। कमोबेश गुजरात की यही स्थिति मातृ मृत्यु  दर के मामले में भी है।
राजग के कार्यकाल में अधिक जीडीपी के दावे का झूठ
फ्लोरिडा में वीडियो कान्फ्रेंसिग के द्वारा भाजपा के विदेशी दोस्तों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भाजपा नीत एनडीए के कार्यकाल में कभी भी सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर 8.4 प्रतिशत से कम नही हुई जबकि यूपीए कार्यकाल में वह 4.8 प्रतिषत पर पहुंच गई है।
वास्तव में एनडीए के कार्यकाल में 1998-99 से 2003-04 तक जीडीपी की विकास दर का औसत महज 6 प्रतिशत ही था जबकि यूपीए के कार्यकाल में 2004 से 2012-13 तक इसका औसत 7.9 प्रतिशत रहा है।
सरदार पटेल के दाह संस्कार पर
मोदी ने सरदार पटेल की विरासत को हथियाने के अपने अभियान को आगे बढ़ाते हुए दावा किया कि जवाहर लाल नेहरू सरदार पटेल के अंतिम संस्कार में शामिल नही हुए थे। हालांकि कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और कई अन्यों ने उनके इस दावे के जवाब में वह फोटो जारी कर दिया जिसमें नेहरू पटेल के अंतिम संस्कार में 15 दिसबंर 1950 को भाग लेते हुए साफ दिखाए दे रहे हैं।
पटना रैली में मोदी का भाषण
पटना रैली में मोदी ने मानो झूठ का पिटारा ही खोल दिया था। इतिहास के तथ्यों को झूठे ढ़ंग से पेश करने के अलावा उन्होंने नीतीश कुमार और अपनी मुलाकात के झूठे वृतांत तक भी सुना डाले।
मोदी ने झूठ बोलने की इस कला का स्वयं को महारथी सिद्ध करते हुए तक्षशिला को बिहार में बता डाला जबकि वास्तविकता यह है कि तक्षशिला वर्तमान समय में पाकिस्तान में है। यही कुछ मोदी ने बिहारियों की बहादुरी का गुणगान करने के अतिरेक में किया जब उन्होंने कहा कि सिकंदर को हराने का काम भी बिहार ने ही किया था जबकि सिकंदर कभी बिहार आया ही नही और वह पंजाब से ही वापस लौट गया था।
इसके अलावा नीतीश कुमार के साथ प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित एक भोज में अपनी मुलाकात का विवरण भी मोदी ने जनता को सुनाया जिसे बाद में नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से खारिज करते हुए कहा कि वह दोनों कभी भी प्रधानमंत्री के द्वारा दिए गये भोज में एकसाथ रहे ही नही।
गुजरात में सबसे अधिक एफडीआई
मोदी लगातार दावा करते हैं कि गुजरात में सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आ रहा है। जबकि सच्चाई इससे एकदम उल्ट और चैंकाने वाली है। 2000-2011 के बीच गुजरात में महज 7.2 बिलियन एफडीआई आया है जबकि इसी समय में महाराष्ट्र ने 45. 8 बिलियन तो दिल्ली ने 26 बिलियन डालर एफडीआई प्राप्त किया है।
चीन में शिक्षा खर्च पर
मोदी ने दावा किया कि चीन उसकी जीडीपी का 20 प्रतिषत शिक्षा पर खर्च करता है जबकि भारत ऐसा नही करता है। वास्तविकता यह है कि चीन अपनी जीडीपी का 3.93 शिक्षा पर खर्च कर रहा तो यूपीए सरकार भी लगभग 4.04 प्रतिषत शिक्षा पर खर्च कर रही है जबकि एनडीए के कार्यकाल में 1.6 प्रतिशत ही शिक्षा पर खर्च किया जा रहा था और उसी समय में शिक्षा के व्यवसायीकरण की मुहिम शुरू की गई थी।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी के संबंध में 
मोदी ने हाल ही में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए अस्पताल का उदघाटन करते हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी को गुजरात का गर्व बताते हुए कह डाला कि वह गुजरात में पैदा हुए थे और इंग्लैंड में जाकर अंग्रेजों की नाक के नीचे उन्होंने इंडिया हाउस की स्थापना भी की थी और उनकी मृत्यु 1930 में हुई थी। जबकि मोदी जिसकी विरासत को आगे बढ़ाने का दावा करते हैं जनसंघ की स्थापना करने वाले वह मुखर्जी कलकत्ता में पैदा हुए थे और उनकी मृत्यु 1951 में हुई थी, साथ ही इंडिया हाउस से भी उनका कोई प्रत्यक्ष संबंध नही था।
संघी फासीवाद के नायक का झूठ फैलाने का और तथ्यों को अपनी राजनीति के अनुरूप बताने, दिखाने का यह निरंतर प्रयास जारी है। असल में यह कोई अनायास और अज्ञानतावश नही है वरन् विकास की आड में संप्रदायिक उन्माद को बढ़ाने और फैलाने की संघ परिवार की सोची समझी योजना है। जो तथ्यो, इतिहास की घटनाओं और इतिहास के उल्लेखनीय चरित्रों को अपनी राजनीति के सांचे में ढ़ालकर अपनी मौलिकता और अपने तथाकथित राष्ट्रवाद को प्रमाणिक सिद्ध करना चाहती है। इसका सबसे से ज्वलंत उदाहरण पटेल की विरासत को हथियाने की भाजपाई कोशिश है। भाजपा स्वयं को पटेल की विचारधारा से जोड़कर अपने संप्रदायिक उन्माद को उचित सिद्ध करना चाहती है तो वहीं पटेल के राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता को इस प्रकार अनुवादित करना चाहती है कि पटेल और संघ की विचारधारा का अंतर समाप्त हो जाये। दरअसल झूठ के सहारे इतिहास को और तथ्यों को बिगाड़ने का यह संघी काम देश के एक खास तबके को आकर्षित भी करता है और यह तबका लगातार इस झूठ को प्रचारित करने का काम करता है जिससे संघ के झूठ के साथ ही उसके जनाधार का भी प्रसार होता है।
यह अनायास नही है कि गुजरात को आदर्श राज्य और विकास का माडल बताने वाले मोदी विकास का नारा लेकर लोगों के बीच जाते हैं और जहां भी मोदी का प्रचार जाता है वहीं सांप्रदायिक तनाव फैलता है, आपसी सौहार्द खत्म हो जाता है और दंगों की शुरुआत होती है !  उत्तर प्रदेश का मुजफ्फरनगर इसका ताजा उदाहरण है। वास्तव में अन्तर्राष्ट्रीय वित्त पूँजी ने कार्पोरेट, संप्रदायवाद और राजसत्ता का यह नया गठजोड़ तैयार किया है और जिसका नायक मोदी है। संघ संप्रदायवाद के इस मिथ्या प्रचार को कार्पोरेट मीड़िया के पक्षपात ने नया जीवन प्रदान किया है। यही कारण है कि संघी फासीवाद का नायक रोजाना झूठ बोलता है और मीड़िया विशेषकर इलेक्ट्रोनिक्स मीड़िया उसके झूठ को प्रचारित करता है। परंतु मोदी के झूठ के पकड़े जाने पर वही मीड़िया खामोशी की एक लंबी चादर ओढ़ लेता है।   

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