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रविवार, 4 नवंबर 2018

कौन है झूठ बोलने की असली और सबसे बडी मशीन

महेश राठी

प्रधानमंत्री मोदी ने एकबार फिर से विपक्ष पर निशाना साधा और कहा कि विपक्ष के कुछ नेता झूठ बोलने की मशीन हैं। हालांकि देश में हर कोई जानता है कि झूठ बोलने और गलत आंकडे पेश करने में मोदी का कोई सानी नही है। फिर भी मोदी इस तरह का बयान देने का साहस कर रहे हैं। किसी को यह महज विपक्ष पर एक रूटीन हमला लग सकता है परंतु दरअसल यह भारतीय राजनीति के मूल्यों को अंतिम रूप् से ब्राहमणवादी झूठ की परंपराओं से बदल देने की एक सुनियोजित ब्राहमणवादी साजिश का हिस्सा है। ब्राहमणवाद का पूरा ढ़ांचा झूठ, अफवाहों और गप्पों पर ही टिका हुआ है और यह झूठ और गप और उन पर विश्वास करने और करवाने के सामाजिक ताने बाने पर ही टिका है। 

अब उसी ब्राहमणवादी सामाजिक ताने बाने का सहारा लेकर वह कह रहे हैं कि विपक्ष के कुछ नेता झूठ बोलने की मशीन है। जिससे कि झूठ बोलने को भारतीय राजनीति की नई और स्थापित परंपरा के रूप में पेश किया जा सके। अब संघी गिरोह का अगला तर्क होगा कि केवल मोदी ही झूठ नही बोलते हैं विपक्षी नेता भी झूठ बोलते हैं और झूठ बोलना तो राजनीति का अनिवार्य अंग है। सभी झूठ बोलते हैं। इस प्रकार से झूठ बोलने को राजनीति के लिए अनिवार्य बनाने और पुराने स्थापित मूल्यों को ध्वस्त करने की यह निर्णायक रणनीति है। वैसे देखें तो अभी तक के इतिहास में मोदी से बडा कोई झूठ बोलने और गलत आांकडे पेश करने वाला प्रधानमंत्री ना पैदा हुआ है और शायद होगा भी नही। अब देखते हैं मोदी के बडे और भारी झूठः

-3 मई को एक सभा में बोेलते हुए मोदी ने कहा कि सिद्दरमैया के शासन में बैंगलुरू एक कूडे के ढेर में बदल चुका है। 
यह सही है कि शहर में पर्यावरण पिछले सालों में बिगडा है परंतु यदि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित षहरों की सूची देखें तो उसमें बैंगलुरू शामिल नही है बल्कि दक्षिण को कोई शहर इसमें नही है तो वहीं मोदी का अपना निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी इसमें शामिल है। बल्कि उत्तर भारत के भाजपा शासित राज्यों के कई शहर इसमें शामिल हैं। अब इतनी ढिठाई के साथ केवल मोदी ही झूठे आंकडें दे सकते हैं। 

-मोदी यहीं नही रूके अपनी अगली 6 मई की रैली में मोदी ने फिर झूठ बोला। उन्होंने कहा कि सोनिया और राहुल गांधी ने प्रेसीडेंट रामनाथ कोविंद को उनके निर्वाचन पर बधाई नही दी थी। यह कांग्रेस का घमण्ड है। 
जबकि वास्तविकता यह है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने प्रेसिडेंट कोविन्द को उनके चुने जाने पर 20 जुलाई 2017 को ही बधाई दी थी। 
https://twitter.com/BJP4India/status/993110170510049280 

https://twitter.com/INCIndia/status/888053870064279561

-इसी प्रकार मोदी ने 2014 में भाजपा की जीत पर भी बधाई नही देने का झूठ बोला था। उन्होंने कहा कि सोनिया और राहुल ने 2014 में चुनाव जीतने पर भाजपा को बधाई नही दी थी। 
हालांकि यह भी हमेशा की तरह मोदी का एक और झूठ था जबकि राहुल और सोनिया गांधी ने भाजपा को 2014 में चुनाव जीतने पर बधाई दी थी। 

-मोदी ने ऐसा ही झूठ भगत सिंह से कांग्रेस के नेताओं के नही मिलने पर भी बोला था। बीदर की एक रैली में मोदी ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं को भ्रष्ट नेताओं से मिलने का समय है तो परंतु क्या वे कभी जेल में जाकर भगत सिंह से भी मिले थे। क्या उनके पास इतना समय नही था। 
वास्तविकता यह है कि उस समय के कांग्रेस अध्यक्ष नेहरू ने जेल में शहीद भगत सिंह और उनके साथियों से मुलाकात की थी। ना केवल उन्होंने उनसे मुलाकात की थी बल्कि उनके बारे में बाद में लिखा भी था। यहां तक कि उन्होंने जेल में बंद इन क्रान्तिकारियों की खराब हालत पर बेहद दुख जताया था। मोदी के इस बयान पर टिप्पणी करते हुए इतिहासकार इरफान हबीब ने लिखा कि पहले इतिहास को पढो फिर बोलो और इतिहास का अपनी राजनीति के लिए दुरूपयोग मत करो।  


-नवंबर 2003 में एक रैली में महात्मा गांधी के बारे में चर्चा करते हुए उन्हें मोहनलाल करमचंद गांधी कह दिया।
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। मोदी की इस गलती पर उनकी काफी किरकिरी हुई थी।

-वर्ष 2013 में पटना की बहुचर्चित रैली में नरेंद्र मोदी ने बिहार की शक्ति का जिक्र करते हुए सम्राट अशोक का जिक्र किया, पाटलिपुत्र का जिक्र किया और फिर नालंदा और तक्षशिला का।
तथ्य ये है कि तक्षशिला पाकिस्तान में है.

-जुलाई 2003 में नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में कहा था कि आजादी के समय एक डॉलर की कीमत एक रुपए के बराबर थी।
यूपीए सरकार की नाकामी गिनाते-गिनाते नरेंद्र मोदी ये भूल गए कि उस समय एक रूपए की कीमत 30 सेंट के बराबर थी और उस समय एक रुपया एक पाउंड के बराबर था।

-अहमदाबाद में अक्तूबर 2003 में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अहमदाबाद नगरपालिका में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1919 में रखा था।
लंबे समय तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ये भूल गए थे कि वल्लभ भाई पटेल ने ये प्रस्ताव 1926 में दिया था।

-फरवरी 2014 में नरेंद्र मोदी ने मेरठ में कहा था कि कांग्रेस ने आजादी की पहली लड़ाई को कम कर के आँका था।
तथ्य ये है कि मेरठ में 1857 की क्रांति शुरू हुई थी। लेकिन मोदी ये भूल गए कि कांग्रेस की स्थापन 1885 में हुई थी। 1857 में कांग्रेस का कोई अता-पता नहीं था।

-नवंबर 2003 में बंगलौर में नरेंद्र मोदी ने कहा था- 15 अगस्त का प्रधानमंत्री का भाषण लाल दरवाजे से होता है।
अब ये कोई बताने वाला तथ्य नहीं है कि पीएम लाल किले से भाषण देते हैं।

-2003 में मुंबई में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वर्ष 1960 से महाराष्ट्र में 26 मुख्यमंत्री हुए हैं।

तथ्य ये है कि 2003 तक सिर्फ 17 नेताओं ने 26 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।

-नरेंद्र मोदी ने एक बार कहा था कि जब हम गुप्त साम्राज्य की बात करते हैं कि हमें चंद्रगुप्त की राजनीति की याद आती है।
दरअसल मोदी जिस चंद्रगुप्त का और उनकी राजनीति का जिक्र कर रहे थे, वो मौर्य वंश के थे। गुप्त साम्राज्य में चंद्रगुप्त द्वितीय हुए थे। लेकिन मोदी उनका जिक्र नहीं कर रहे थे।

-दिसंबर 2013 में नरेंद्र मोदी ने जम्मू में एक रैली के दौरान कहा था कि मेजर सोमनाथ शर्मा को महावीर चक्र और ब्रिगेडियर रजिंदर सिंह को परमवीर चक्र मिला था।
तथ्य ये है कि मेजर सोमनाथ शर्मा को परमवीर चक्र और रजिंदर सिंह को महावीर चक्र मिला था।

-नवंबर 2013 में खेड़ा में नरेंद्र मोदी श्यामजी कृष्ण वर्मा और श्यामा प्रसाद मुखर्जी में अंतर नहीं कर पाए।

-मोदी ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को गुजरात का बेटा कह दिया और ये भी कह दिया कि उन्होंने लंदन में इंडिया हाउस का गठन किया था। और उनकी मौत 1930 में हो गई थी। दरअसल श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म कोलकाता में हुआ था। उनकी मौत 1953 में हुई थी। 
मोदी श्याम कृष्ण वर्मा की जगह श्यामा प्रसाद मुखर्जी बोल गए। अब जो इंसान अपने आदर्श नेता के बारे में भी गलत सूचनाएं प्रसारित, प्रचारित करता हो भला उसका किसके मुकाबला किया जा सकता है। 

-पटना में रैली के दौरान नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सिकंदर की सेना ने पूरी दुनिया जीत ली थी। लेकिन जब उन्होंने बिहारियों से पंगा लिया था, उसका क्या हश्र हुआ। यहाँ आकर वो हार गए।
सिकंदर की सेना ने कभी गंगा पार ही नहीं की। सिकंदर 326 ई.पू. तक्षशिला से होते हुए से पुरु के राज्य की तरफ बढ़ा जो झेलम और चेनाब नदी के बीच बसा हुआ था। राजा पुरु से हुए घोर युद्ध के बाद वह व्यास नदी तक पहुंचा, परन्तु वहां से उसे वापस लौटना पड़ा। इस तरह से सिकंदर पंजाब से ही वापस लौट गया था।

-लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने कहा कि चीन अपनी जीडीपी का 20 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करता है, लेकिन भारत नहीं।
हकीकत ये है कि चीन अपनी जीडीपी का सिर्फ 3.93 प्रतिशत ही शिक्षा पर खर्च करता है। जबकि वहीं भारत में अटल सरकार में शिक्षा पर जीडीपी का 1.6 प्रतिशत खर्च हुआ और यूपीए सरकार में 4.04 प्रतिशत।  

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