अब हम बारी बारी से पूर्वी दिल्ली नगर निगम के भ्रष्टाचार की शानदार, जानदार और अनूठी कहानियों की कडी में अगली कहानी है लोनी रोड पर एक जमाने से सील पडी संपति के अचानक खुल जाने और बडी इमारती लकडी की दुकान बन जाने की। इस कडी में दूसरी कहानी के नायक भी पूर्वी नगर निगम के शाहदरा उत्तरी जोन के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर पी आर मीणा (ईई-बिल्डिंग-2) ही हैं। सील संपति को डी-सील कर दिये जाने का यह दूसरा कारनामा भी पी आर मीणा के क्षेत्र में ही आता है।
संपति संख्या 641/बी/2 लोनी रोड, रामनगर दिल्ली-110032 को फाइल संख्या 433/बी11/यूसी/एसएच-एन/2016 के तहत 20/12/2016 को बुक किया गया था। इस संपति को बाद में 20/05/2017 को जूनियर इंजीनियर श्री जे पी जयसवाल के निरीक्षण में सील कर दिया गया था। परंतु यह सभी के लिए आश्चर्य का मसला था यह संपति अचानक डी-सील हो गयी और इस पर काम भी आरंभ हो गया।
पिछली संपति की तरह इस संपति पर अवैध निर्माण की जानकारी विभाग को दी गयी यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित एसटीएफ को भी आनलाइन इसकी सूचना दी गयी परंतु कार्यवाही तो छोडिये पूर्वी दिल्ली नगर निगम के उच्चाधिकारियों के कान पर जंू तक नही रेंग रही है।
इस अवैध निर्माण को जारी करने में यहां तक बेशर्मी की जा रही है कि हरित ट्रिब्यूनल के दिशा निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए इस इमारत और निर्माण के काम में आने वाले बिल्डिंग मैटिरीयल को भी कवर नही किया जा रहा है। इस निर्माण की शिकायत केवल नगर निगम ही नही बल्कि एसटीएफ और विभिन्न ग्रिवेंसिस कमीशन्स और विभागों को भी की जा चुकी है। पंरतु यह समझना मुश्किल ही नही बल्कि असंभव है कि जीरो टोलरंस नीति भ्रष्टाचार के खिलाफ है अथवा भ्रष्टाचार की शिकयतों को ना सुनने और उन पर आंख मूंदने को लेकर जीरो टोलरेंस की नीति है। यह नीति जीरो टोलरेंस नही बल्कि जीरो एक्शन ऑन क्रप्शन होनी चाहिए थी। पिछले तीन महीने से यह शिकायत एसटीएफ में है परन्तु अंडर प्रोसेस के अलावा कोई कार्रवाई नहीं हुई है!
इस पूरे मामले का सबसे रोचक पहलू नगर निगम द्वारा की गयी कार्रवाई है जो इस बात की गवाही देती है कि निगम अधिकारी खासतौर पर पी आर मीणा ने किस प्रकार इस मामले को अंजाम दिया था और अब उनकी जगह आये नए एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बी -२ भी किस प्रकार मीणा और सम्पति मालिक के हितों के अनुरूप कार्य कर रहे है! जब निगम की उपरोक्त करतूत के खिलाफ शिकायते आयी तो सम्पति मालिक के खिलाफ सील टेम्परिंग की एफआईआर कर दी गयी मगर सम्पति को ना सील किया गया ना डेमोलिश किया गया ! मामला साफ़ है की यह सम्पति को कार्रवाई से बचाने के लिए कार्रवाई का तमाशा भर है ! जबकि इसी तरह के एक मामले में निगम के इन्ही अधिकारियों ने मानसरोवर पार्क में ए -13 नंबर सम्पति को री-सील किया है ! इससे जाहिर है कि किस प्रकार का खेल मीणा जैसे अधिकारी नगर निगम में चला रहे हैं !
नीचे दोनों मामले और उनपर की गयी कार्रवाई के सबूत एसटीएफ की दो एक्शन टेकन रिपोर्ट में देख सकते हैं! जिसमें एक कार्रवाई में केवल बिल्डिंग री -सील की गयी है और ऍफ़आईआर से छूट दी गयी तो दूसरे मामले में केवल ऍफ़आईआर हुई है और सम्पति को खुला छोड़ दिया गया है ! जिस सम्पति पर अब एक बड़ा इमारती लकड़ी का शोरूम खड़ा हो गया है ! यह दो उदाहरण मीणा जैसे निगम अधिकारियों की खुली मनमानी का सबूत हैं ! जिस कारण इडीएमसी अराजक अवैध निर्माण का एक बड़ा हब बनता जा रहा है !
इस पूरे मामले का सबसे रोचक पहलू नगर निगम द्वारा की गयी कार्रवाई है जो इस बात की गवाही देती है कि निगम अधिकारी खासतौर पर पी आर मीणा ने किस प्रकार इस मामले को अंजाम दिया था और अब उनकी जगह आये नए एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बी -२ भी किस प्रकार मीणा और सम्पति मालिक के हितों के अनुरूप कार्य कर रहे है! जब निगम की उपरोक्त करतूत के खिलाफ शिकायते आयी तो सम्पति मालिक के खिलाफ सील टेम्परिंग की एफआईआर कर दी गयी मगर सम्पति को ना सील किया गया ना डेमोलिश किया गया ! मामला साफ़ है की यह सम्पति को कार्रवाई से बचाने के लिए कार्रवाई का तमाशा भर है ! जबकि इसी तरह के एक मामले में निगम के इन्ही अधिकारियों ने मानसरोवर पार्क में ए -13 नंबर सम्पति को री-सील किया है ! इससे जाहिर है कि किस प्रकार का खेल मीणा जैसे अधिकारी नगर निगम में चला रहे हैं !
नीचे दोनों मामले और उनपर की गयी कार्रवाई के सबूत एसटीएफ की दो एक्शन टेकन रिपोर्ट में देख सकते हैं! जिसमें एक कार्रवाई में केवल बिल्डिंग री -सील की गयी है और ऍफ़आईआर से छूट दी गयी तो दूसरे मामले में केवल ऍफ़आईआर हुई है और सम्पति को खुला छोड़ दिया गया है ! जिस सम्पति पर अब एक बड़ा इमारती लकड़ी का शोरूम खड़ा हो गया है ! यह दो उदाहरण मीणा जैसे निगम अधिकारियों की खुली मनमानी का सबूत हैं ! जिस कारण इडीएमसी अराजक अवैध निर्माण का एक बड़ा हब बनता जा रहा है !
Delhi Development AuthorityVikas Sadan, New Delhi Grievance Details of Special Task Force(STF) - Demolition Drive
Delhi Development Authority | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Vikas Sadan, New Delhi | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Grievance Details of Special Task Force(STF) - Demolition Drive | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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Action Taken Details | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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एसटीफ, पूर्वी नगर निगम, उपराज्यपाल सचिवालय की इस मामले में सुस्ती का अर्थ साफ है कि यह निगम अधिकारियों को बचाने और संपति मालिक को बचाने की योजना है। क्यों नही निगम अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होती है। यदि निगम सही में ईमानदार है तो उसे इस अवैध निर्माण के लिए संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय करके उनके खिलाफ कार्यवाही करनी होगी, जैसा कि एसटीएफ के नाॅटिफिकेशन में घोषित किया गया था। प्रधानमंत्री कार्यालय को भाजपा शासित नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करते हुए एक मिसाल कायम करनी चाहिए !
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