महेश राठी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में जोर जोर से कहा कि यह झूठ है, झूठ है, झूठ है। अब समझना मुश्किल है कि एनआरसी के सवाल पर झूठ कौन बोल रहा है मोदी, अमित शाह, जे पी नड्डा, मुख्तार अब्बास नकवी अथवा यह माने कि भाजपा के नेता किसी झूठ के ओलंपिक में भाग ले रहे हैं। मोदी के पुराने रिकार्ड देखते हुए यह तो तय है कि इस ओलंपिक का गोल्ड मेडल अगर कोई जीत सकता है तो वह नरेन्द्र मोदी ही हैं, दूसरा कोई नही।
बहरहाल, दिल्ली के रामलीला मैदान में विपक्ष पर हमला बोलते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विपक्ष लोगों को गुमराह कर रहा है, गलत सूचनाएं दे रहा है और सीएए एवं एनआरसी के सवाल पर भडका रहा है। विपक्ष पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार अर्थात केबिनेट और संसद ने अभी तक एनआरसी पर कोई चर्चा ही नही की है।
फिर सवाल यह उठता है कि यह झूठ कौन फैला रहा है, विपक्ष अथवा मोदी के सर्वाधिक विश्वसनीय और उनके सिपहसालार अमित शाह। क्योंकि वह अमित शाह ही हैं जिन्होंने एक बार नही कईं बार एनआरसी लागू करने की बात संसद और सार्वजनिक मंचों से कही है। नागरिकता संशोधन कानून पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए भी हमेशा की तरह अमित शाह ने विपक्ष को ललकारने की मुद्रा में एनआरसी लागू करने की बात कही थी।
हालांकि इससे पहले और इसके बाद भी वह संसद में अपनी बात को लगातार दोहराते रहे हैं।
20 दिसंबर को राज्यसभा में स्वप्नदास गुप्ता द्वारा पूछे गये एक सवाल का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि एनआरसी पूरे देश में लागू की जायेगी। शाह ने कहा कि एनआरसी से जुडा और असम के मामले में 7 सितंबर 2015 को जारी गैजेट नोटिफिकेशन शेष देश पर भी लागू होगा। शाह ने फिर से दोहराया कि एनआरसी को लागू करना हमारे चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा है। शाह ने यह भी कहा कि घुसपैठियों के कारण कईं इलाकों की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान पर व्यापक प्रभाव पडा है और यहां तक कि उन इलाकों के लोगों की आजीविका और रोजगार को भी घुसपैठ ने बुरी तरह से प्रभावित किया है, इसीलिए एनआरसी का निपटारा शीघ्रता से करना हमारी प्राथमिकता में है। शाह ने आगे कहा कि हम पूरे देश में इसे विभिन्न चरणों में लागू करेंगे।
केवल संसद ही नही संसद के बाहर भी शाह ने विभिन्न अवसरों पर विपक्ष को एनआरसी के नाम पर ललकारा है। अमित शाह ने तो झारखण्ड के सिंहभूमि की एक चुनावी सभा में बोलते हुए एनआरसी लागू करने की अंतिम समय सीमा तक की घोषणा कर डाली थी। शाह ने कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ही हमारी सरकार एनआरसी को लागू करके सभी घूसपैठियों को बाहर कर देगी।
इसके अलावा अमित शाह ने हिंदुस्तान अखबार समूह के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में 17 दिसंबर को बोलते हुए कहा कि एनआरसी पूरे देश में लागू की जायेगी और एनआरसी पर हमें जनादेश मिला है। भाजपा नेता शाह ने इस कार्यक्रम में साफ किया कि एनआरसी हमारे चुनावी घोषणापत्र में शामिल था और इसे लागू करने के लिए हमें देश की जनता ने जनादेश दिया है।
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा तो एनआरसी पर इससे भी ज्यादा जल्दी में दिखाई दिये वह तो उस समय भी एनआरसी को देशभर में लागू करवाने पर अमादा थे जब देश बुरी तरह से विरोध की आगे में जल रहा था। नागरिकता संशोधन कानून बन जाने के बाद दिल्ली में 18 दिसंबर को अफगानिस्तान के सिख शरणार्थियों से एक मुलाकात के दौरान जे पी नड्डा ने एकबार फिर दोहराया कि एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जायेगा।
हालाँकि प्रधानमंत्री मोदी ने केवल एनआरसी पर ही रामलीला मैदान में यूटर्न नही लिया है बल्कि उन्होंने ऐसा ही यूटर्न डिटेंशन सेंटर्स पर भी लिया है। रामलीला मैदान में भी डिटेंशन सेंटर्स के बारे में भी प्रधानमंत्री के झूठ का पर्दाफाश हो गया है। राज्यसभा सांसद मो. नदीमुल हक के द्वारा पूछे गये एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानन्द राय ने अपने जवाब में राज्यसभा को बताया था कि केन्द्र सरकार ने सभी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों को डिटेंशन/होल्डिंग सेंटर्स नियमावली शीर्षक से जनवरी 2019 में एक सर्कुलर भेजा था। गृह राज्यमंत्री ने 22 नवंबर 2019 को एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि अभी असम में छह डिटेंशन सेंटर्स संचालित किये जा रहे हैं जिसमें 988 विदेशी घुसपैठिये हैं।
डिटेंशन सेंटर्स पर अपने जवाब में गृह राज्यमंत्री ने यह भी बताया कि डिटेंशन सेंटर्स की स्थापना घुसपैठियों और अपने देश भेजे जाने में विलंब हो रहे दोषी विदेशियों को रखने की जरूरत के कारण है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि असम के गोलपाडा में एक बडा डिटेंशन सेंटर भी निर्माणाधीन है जिस पर 46.5 करोड रूपये की लागत आने का अनुमान है।
मोदी के झूठ की हद तो तब हो गयी जब उन्होंने कहा कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर ही नही है। मोदी ने रामलीला मैदान में अपने भाषण में कहा कि किसी भारतीय मुस्लिम को डिटेंशन सेंटर नही भेजा जायेगा और मोदी ने यहां तक दावा कर दिया कि देश में अभी कोई डिटेंशन सेंटर ही नही है।
परंतु उनके मंत्री और नेता और यहां तक कि जमीनी हालात उनके झूठ की पोल खेल रहे हैं। यहां तक कि राष्ट्रपति का संसद के संयुक्त सत्र को संबोधन भी मोदी के झूठ को बेनकाब करता नजर आ रहा है। 20 जून 2019 को संसद के संयुक्त सदन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि अवैध घुसपैठिये देश की सुरक्षा को खतरा है और इससे देश के कईं हिस्सों में सामाजिक संतुलन बिगड़ रहा है और ठीक उसी प्रकार यह देश के सीमित आजीविका के अवसरों पर एक दबाव बनाता है। मेरी सरकार ने घुसपैठ से प्रभावित इलाकों में प्राथमिकता के आधार पर नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजन्स की प्रक्रिया को लागू करने का फैसला लिया है। साथ ही राष्ट्रपति ने कहा था कि सीमा के इलाकों में आगे घुसपैठ को रोकने के लिए सुरक्षा को मजबूत किया जायेगा।
कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक हाई कोर्ट को 22 नवंबर 2019 को सूचित किया था कि राज्य के विभिन्न जिलों और मंडलों में 35 डिटेंशन सेंटर्स की पहचान की है। हाल ही में कर्नाटक में पहला डिटेंशन सेंटर बेंगलुरू के पास सोंदेकोप्पा गांव में स्थापित किया गया है। बीस साल पुरानी यह इमारत पहले सामाजिक रूप से वंचित तबके के छात्रों का एक हाॅस्टल हुआ करता था और इसमें कुछ कमरे एक शौचालय एवं एक किचन है। यह भी कमाल है कि ब्राह्मणवादी सरकार ने इस मामले में एक तीर से दो शिकार निबटा दिए! एक पिछड़े वर्ग के छात्रों का हॉस्टल बंद कर दिया और दुसरे ब्राह्मणवादी एजेंडे को बढ़ाते हुए डिटेंशन सेंटर बना डाला! परंतु एनआरसी पर मोदी के यूटर्न के बाद कर्नाटक के गृहमंत्री बासवाराज बोम्मई अब कह रहे हैं कि इस डिटेंशन सेंटर का एनआरसी से कोई संबंध ही नही है। उनके अनुसार यह डिटेंशन सेंटर उन अफ्रीकी विदेशियों के लिए एक ट्रांजिट कैंप की तरह है जिन्हें मादक पदार्थों की तस्करी में पकडकर वापस उनके देश भेजा जाना है। इसके अलावा महाराष्ट्र की पिछली भाजपा सरकार ने भी ऐसे डिटेंशन सेंटर स्थापित करने की कार्ययोजना पर काम शुरू किया था। जिसमें मुंबई के पास नवी मुंबई के नेरूल में जगह की पहचान और डिटेंशन सेंटर बनाने की प्रक्रिया की शुरूआत जुलाई 2019 में की गयी थी। हाल ही में शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस गंठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री और भाजपा के पूर्व सहयोगी उद्धव ठाकरे ने इस डिटेंशन की स्थापना और योजना को खारिज करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में कोई नाजी डिटेंशन सेंटर नही बनेगा।
मोदी के यूटर्न के बाद जुमलेबाजी के लिए मशहूर भाजपा के बडे अल्पसंख्यक नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने प्रधानमंत्री मोदी के बचाव और सरकार के यूटर्न पर जिस प्रकार की जुमलेबाजी शुरू की वह ना केवल बेहद हास्यास्पद है बल्कि बिल्कुल शर्मनाक भी है। मुख्तार अब्बास नकवी ने नागरिकता कानून और एनआरसी के मुद्दे पर एक टीवी चैनल से खास बातचीत में सवालों के जवाब देते हुए कहा कि एनआरसी को लेकर फैलाया गया झूठ का झाड़ सच के पहाड़ के नीचे ध्वस्त हो जाएगा। केंद्रीय मंत्री नकवी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि एनआरसी को लेकर अभी कोई बात ही नहीं हो रही है। उन्होंने आगे कहा गुमराह करने वालों की गैंग है और उसने योजना बनाकर लोगों को गुमराह किया है। कुछ लोग अपनी सियासी रोटी सेकने के लिए ऐसा करते हैं। असम के अलावा भारत के किसी भी हिस्से में एनआरसी की प्रक्रिया नहीं शुरू हुई है। लोगों के बीच एनआरसी को लेकर भय और भ्रम का झूठ फैलाया गया है। नकवी ने यह भी कहा कि एनआरसी का न सिर है न पैर है।
अब नकवी से कोई पूछे कि मोदी के अनुसार एनआरसी पर जब केबिनेट और संसद में कोई चर्चा ही नही हुई तो वह कौन है जो एनआरसी पर झूठ का झाड़ बना रहा है और अमित शाह का संसद में बयान, गृह राज्यमंत्री के एनआरसी और डिटेंशन सेंटर्स पर जवाब, राष्ट्रपति के अभिभाषण में एनआरसी की योजना का ब्यौरा, जे पी नड्डा की बयानबाजी अथवा कर्नाटक और महाराष्ट्र में स्थापित हो रहे डिटेंशन सेंटर्स के पीछे क्या किसी गैंग का हाथ है, जो देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं और देश के राष्ट्रपति और परम ज्ञानी हमेशा विपक्ष को ललकारने और धमकाने की भाषा में बोलने वाले अमित शाह भी इस गैंग के फैलाये जा रहे भ्रम का शिकार हो गये हैं। एक केन्द्रीय मंत्री नकवी की हास्यास्पद जुमलेबाली पूरे देश को शर्मसार कर रही है। मोदी सरकार और उनके मंत्रियों और भाजपा नेताओं के यूटर्न देखकर लगता है कि मोदी और उनकी पूरी टीम कोई झूठ का ओलंपिक खेल रही है। परंतु इसमें भी एक बात तय है कि इस ओलंपिक में भाजपा के कितने ही नेता भाग ले लें मगर हमेशा की तरह झूठ के ओलंपिक का गोल्ड मेडल जीतने में मोदी ही सबसे सक्षम उम्मीदवार हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में जोर जोर से कहा कि यह झूठ है, झूठ है, झूठ है। अब समझना मुश्किल है कि एनआरसी के सवाल पर झूठ कौन बोल रहा है मोदी, अमित शाह, जे पी नड्डा, मुख्तार अब्बास नकवी अथवा यह माने कि भाजपा के नेता किसी झूठ के ओलंपिक में भाग ले रहे हैं। मोदी के पुराने रिकार्ड देखते हुए यह तो तय है कि इस ओलंपिक का गोल्ड मेडल अगर कोई जीत सकता है तो वह नरेन्द्र मोदी ही हैं, दूसरा कोई नही।
बहरहाल, दिल्ली के रामलीला मैदान में विपक्ष पर हमला बोलते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विपक्ष लोगों को गुमराह कर रहा है, गलत सूचनाएं दे रहा है और सीएए एवं एनआरसी के सवाल पर भडका रहा है। विपक्ष पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार अर्थात केबिनेट और संसद ने अभी तक एनआरसी पर कोई चर्चा ही नही की है।
फिर सवाल यह उठता है कि यह झूठ कौन फैला रहा है, विपक्ष अथवा मोदी के सर्वाधिक विश्वसनीय और उनके सिपहसालार अमित शाह। क्योंकि वह अमित शाह ही हैं जिन्होंने एक बार नही कईं बार एनआरसी लागू करने की बात संसद और सार्वजनिक मंचों से कही है। नागरिकता संशोधन कानून पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए भी हमेशा की तरह अमित शाह ने विपक्ष को ललकारने की मुद्रा में एनआरसी लागू करने की बात कही थी।
हालांकि इससे पहले और इसके बाद भी वह संसद में अपनी बात को लगातार दोहराते रहे हैं।
20 दिसंबर को राज्यसभा में स्वप्नदास गुप्ता द्वारा पूछे गये एक सवाल का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि एनआरसी पूरे देश में लागू की जायेगी। शाह ने कहा कि एनआरसी से जुडा और असम के मामले में 7 सितंबर 2015 को जारी गैजेट नोटिफिकेशन शेष देश पर भी लागू होगा। शाह ने फिर से दोहराया कि एनआरसी को लागू करना हमारे चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा है। शाह ने यह भी कहा कि घुसपैठियों के कारण कईं इलाकों की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान पर व्यापक प्रभाव पडा है और यहां तक कि उन इलाकों के लोगों की आजीविका और रोजगार को भी घुसपैठ ने बुरी तरह से प्रभावित किया है, इसीलिए एनआरसी का निपटारा शीघ्रता से करना हमारी प्राथमिकता में है। शाह ने आगे कहा कि हम पूरे देश में इसे विभिन्न चरणों में लागू करेंगे।
केवल संसद ही नही संसद के बाहर भी शाह ने विभिन्न अवसरों पर विपक्ष को एनआरसी के नाम पर ललकारा है। अमित शाह ने तो झारखण्ड के सिंहभूमि की एक चुनावी सभा में बोलते हुए एनआरसी लागू करने की अंतिम समय सीमा तक की घोषणा कर डाली थी। शाह ने कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ही हमारी सरकार एनआरसी को लागू करके सभी घूसपैठियों को बाहर कर देगी।
इसके अलावा अमित शाह ने हिंदुस्तान अखबार समूह के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में 17 दिसंबर को बोलते हुए कहा कि एनआरसी पूरे देश में लागू की जायेगी और एनआरसी पर हमें जनादेश मिला है। भाजपा नेता शाह ने इस कार्यक्रम में साफ किया कि एनआरसी हमारे चुनावी घोषणापत्र में शामिल था और इसे लागू करने के लिए हमें देश की जनता ने जनादेश दिया है।
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा तो एनआरसी पर इससे भी ज्यादा जल्दी में दिखाई दिये वह तो उस समय भी एनआरसी को देशभर में लागू करवाने पर अमादा थे जब देश बुरी तरह से विरोध की आगे में जल रहा था। नागरिकता संशोधन कानून बन जाने के बाद दिल्ली में 18 दिसंबर को अफगानिस्तान के सिख शरणार्थियों से एक मुलाकात के दौरान जे पी नड्डा ने एकबार फिर दोहराया कि एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जायेगा।
हालाँकि प्रधानमंत्री मोदी ने केवल एनआरसी पर ही रामलीला मैदान में यूटर्न नही लिया है बल्कि उन्होंने ऐसा ही यूटर्न डिटेंशन सेंटर्स पर भी लिया है। रामलीला मैदान में भी डिटेंशन सेंटर्स के बारे में भी प्रधानमंत्री के झूठ का पर्दाफाश हो गया है। राज्यसभा सांसद मो. नदीमुल हक के द्वारा पूछे गये एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानन्द राय ने अपने जवाब में राज्यसभा को बताया था कि केन्द्र सरकार ने सभी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों को डिटेंशन/होल्डिंग सेंटर्स नियमावली शीर्षक से जनवरी 2019 में एक सर्कुलर भेजा था। गृह राज्यमंत्री ने 22 नवंबर 2019 को एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि अभी असम में छह डिटेंशन सेंटर्स संचालित किये जा रहे हैं जिसमें 988 विदेशी घुसपैठिये हैं।
डिटेंशन सेंटर्स पर अपने जवाब में गृह राज्यमंत्री ने यह भी बताया कि डिटेंशन सेंटर्स की स्थापना घुसपैठियों और अपने देश भेजे जाने में विलंब हो रहे दोषी विदेशियों को रखने की जरूरत के कारण है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि असम के गोलपाडा में एक बडा डिटेंशन सेंटर भी निर्माणाधीन है जिस पर 46.5 करोड रूपये की लागत आने का अनुमान है।
मोदी के झूठ की हद तो तब हो गयी जब उन्होंने कहा कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर ही नही है। मोदी ने रामलीला मैदान में अपने भाषण में कहा कि किसी भारतीय मुस्लिम को डिटेंशन सेंटर नही भेजा जायेगा और मोदी ने यहां तक दावा कर दिया कि देश में अभी कोई डिटेंशन सेंटर ही नही है।
परंतु उनके मंत्री और नेता और यहां तक कि जमीनी हालात उनके झूठ की पोल खेल रहे हैं। यहां तक कि राष्ट्रपति का संसद के संयुक्त सत्र को संबोधन भी मोदी के झूठ को बेनकाब करता नजर आ रहा है। 20 जून 2019 को संसद के संयुक्त सदन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि अवैध घुसपैठिये देश की सुरक्षा को खतरा है और इससे देश के कईं हिस्सों में सामाजिक संतुलन बिगड़ रहा है और ठीक उसी प्रकार यह देश के सीमित आजीविका के अवसरों पर एक दबाव बनाता है। मेरी सरकार ने घुसपैठ से प्रभावित इलाकों में प्राथमिकता के आधार पर नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजन्स की प्रक्रिया को लागू करने का फैसला लिया है। साथ ही राष्ट्रपति ने कहा था कि सीमा के इलाकों में आगे घुसपैठ को रोकने के लिए सुरक्षा को मजबूत किया जायेगा।
कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक हाई कोर्ट को 22 नवंबर 2019 को सूचित किया था कि राज्य के विभिन्न जिलों और मंडलों में 35 डिटेंशन सेंटर्स की पहचान की है। हाल ही में कर्नाटक में पहला डिटेंशन सेंटर बेंगलुरू के पास सोंदेकोप्पा गांव में स्थापित किया गया है। बीस साल पुरानी यह इमारत पहले सामाजिक रूप से वंचित तबके के छात्रों का एक हाॅस्टल हुआ करता था और इसमें कुछ कमरे एक शौचालय एवं एक किचन है। यह भी कमाल है कि ब्राह्मणवादी सरकार ने इस मामले में एक तीर से दो शिकार निबटा दिए! एक पिछड़े वर्ग के छात्रों का हॉस्टल बंद कर दिया और दुसरे ब्राह्मणवादी एजेंडे को बढ़ाते हुए डिटेंशन सेंटर बना डाला! परंतु एनआरसी पर मोदी के यूटर्न के बाद कर्नाटक के गृहमंत्री बासवाराज बोम्मई अब कह रहे हैं कि इस डिटेंशन सेंटर का एनआरसी से कोई संबंध ही नही है। उनके अनुसार यह डिटेंशन सेंटर उन अफ्रीकी विदेशियों के लिए एक ट्रांजिट कैंप की तरह है जिन्हें मादक पदार्थों की तस्करी में पकडकर वापस उनके देश भेजा जाना है। इसके अलावा महाराष्ट्र की पिछली भाजपा सरकार ने भी ऐसे डिटेंशन सेंटर स्थापित करने की कार्ययोजना पर काम शुरू किया था। जिसमें मुंबई के पास नवी मुंबई के नेरूल में जगह की पहचान और डिटेंशन सेंटर बनाने की प्रक्रिया की शुरूआत जुलाई 2019 में की गयी थी। हाल ही में शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस गंठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री और भाजपा के पूर्व सहयोगी उद्धव ठाकरे ने इस डिटेंशन की स्थापना और योजना को खारिज करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में कोई नाजी डिटेंशन सेंटर नही बनेगा।
मोदी के यूटर्न के बाद जुमलेबाजी के लिए मशहूर भाजपा के बडे अल्पसंख्यक नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने प्रधानमंत्री मोदी के बचाव और सरकार के यूटर्न पर जिस प्रकार की जुमलेबाजी शुरू की वह ना केवल बेहद हास्यास्पद है बल्कि बिल्कुल शर्मनाक भी है। मुख्तार अब्बास नकवी ने नागरिकता कानून और एनआरसी के मुद्दे पर एक टीवी चैनल से खास बातचीत में सवालों के जवाब देते हुए कहा कि एनआरसी को लेकर फैलाया गया झूठ का झाड़ सच के पहाड़ के नीचे ध्वस्त हो जाएगा। केंद्रीय मंत्री नकवी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि एनआरसी को लेकर अभी कोई बात ही नहीं हो रही है। उन्होंने आगे कहा गुमराह करने वालों की गैंग है और उसने योजना बनाकर लोगों को गुमराह किया है। कुछ लोग अपनी सियासी रोटी सेकने के लिए ऐसा करते हैं। असम के अलावा भारत के किसी भी हिस्से में एनआरसी की प्रक्रिया नहीं शुरू हुई है। लोगों के बीच एनआरसी को लेकर भय और भ्रम का झूठ फैलाया गया है। नकवी ने यह भी कहा कि एनआरसी का न सिर है न पैर है।
अब नकवी से कोई पूछे कि मोदी के अनुसार एनआरसी पर जब केबिनेट और संसद में कोई चर्चा ही नही हुई तो वह कौन है जो एनआरसी पर झूठ का झाड़ बना रहा है और अमित शाह का संसद में बयान, गृह राज्यमंत्री के एनआरसी और डिटेंशन सेंटर्स पर जवाब, राष्ट्रपति के अभिभाषण में एनआरसी की योजना का ब्यौरा, जे पी नड्डा की बयानबाजी अथवा कर्नाटक और महाराष्ट्र में स्थापित हो रहे डिटेंशन सेंटर्स के पीछे क्या किसी गैंग का हाथ है, जो देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं और देश के राष्ट्रपति और परम ज्ञानी हमेशा विपक्ष को ललकारने और धमकाने की भाषा में बोलने वाले अमित शाह भी इस गैंग के फैलाये जा रहे भ्रम का शिकार हो गये हैं। एक केन्द्रीय मंत्री नकवी की हास्यास्पद जुमलेबाली पूरे देश को शर्मसार कर रही है। मोदी सरकार और उनके मंत्रियों और भाजपा नेताओं के यूटर्न देखकर लगता है कि मोदी और उनकी पूरी टीम कोई झूठ का ओलंपिक खेल रही है। परंतु इसमें भी एक बात तय है कि इस ओलंपिक में भाजपा के कितने ही नेता भाग ले लें मगर हमेशा की तरह झूठ के ओलंपिक का गोल्ड मेडल जीतने में मोदी ही सबसे सक्षम उम्मीदवार हैं।
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