शाहीन बाग की औरतें भारतीय लोकतंत्र को प्रतिरोध की नयी भाषा पढा रही हैं, वे अपनी घरेलू जिम्मेदारियों और सामाजिक जवाबदेही के नये संतुलन की नई परिभाषा ना केवल हमारे लोकतंत्र के लिए गढ़ रही हैं बल्कि भारत के नारी समाज के संघर्षों के इतिहास के आसमान पर मानो एक नया चमकीला सितारा भी जड रही हैं। आज जब समाज का बहुमत हिस्सा अपने अधिकारों की लड़ाई से इसलिए मुंह मोड लेता ही कि वह थोडा सी भी सुविधा से निकलना नही चाहता है, तो ऐसे समय में शाहीन बाग की औरतों का घर की जिम्मेदारियों और समाजिक जवाबदेही का यह संतुलन बेजोड है, अदभुत है। और शाहीन बाग का यह संघर्ष उसी तरह से पूरे देश की आवाम को संघर्षों के लिए प्रशिक्षित कर रहा है जैसे कि मादा शाहीन (मादा बाज) अपने नवजात बच्चे को प्रशिक्षित करती है और कमाल यह है कि शाहीन के यह बच्चे भी बेजोड तरीके से सीखकर देश के हरेक शहर हरेक बस्ती में अपना एक शाहीन बाग बनाने को बेताब नजर आ रहे हैं।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में दिल्ली पुलिस ने अपने जिस रंग और ढंग का भौंडा प्रदर्शन किया कोई सोच भी नही सकता था कि उसका प्रतिकार जामिया से लगा शाहीन बाग इस तरह करेगा कि वह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक मील का पत्थर बन जायेगा। जामिया में पुलिसिया बर्बरता के बाद शाहीन बाग में इलाके की महिलाओं ने इस सरकारी बर्बरता और उनकी पहचान पर भगवा हमले का जवाब देने का यह सत्याग्रही तरीका निकाला और वो अपनी दादियों के नेतृत्व में सड़क पर उतर आयी। आज उनके चेहरे पर नकाब नही दृढ निश्चिय है, दृढ निश्चिय लडने का और जीतने का। 15 दिसंबर से शुरू हुआ आंदोलन आज जामिया के इलाके से निकलकर पूरे देश में फैल चुका है। जामिया के शाहीन बाग से उठी लडाई की यह चिंगारी आज पूरे देश में फैल रही है और हरेक खत्म होते दिन के साथ विरोध का यह जन सैलाब थम नही रहा है बल्कि फैल रहा है बढ़ रहा है।
इंद्र लोक मेट्रो स्टेशन दिल्ली |
देश के विभिन्न शहरों में लगभग 40 से भी अधिक जगहों पर शाहीन बाग जैसे धरने प्रदर्शनों की श्ुारूआत हो चुकी और एक शहर, देश की राजधानी दिल्ली में ही एक दर्जन के लगभग जगहों पर शाहीन बाग सर उठा चुका है।
दिल्ली का खुरेजी |
शाहीन बाग, सीलमपुर-जाफराबाद, चांदबाग, मुस्ताफाबाद, वजीराबाद, खुरेजी, सुंदर नगरी, श्रीराम कालोनी, कर्दम पुरी, तुर्कमान गेट, इन्द्रलोक मेट्रो स्टेशन आदि दिल्ली की ऐसी बस्तियां हैं जहां शाहीनबाग सर उठा चुका है।
इसके अलावा भी देश के अन्य शहरों में शाहीन बाग जन्म ले रहा है और कह रहा है कि शाहीन बाग एक धरना नही बल्कि भारतीय लोकतंत्र में प्रतिरोध की एक नयी और अनौखी अवधारणा है।
शान्तिबाग, गया (बिहार)
30 दिसंबर से शुरू हुआ गया का शाहीन बाग आंदोलन 24 से भी अधिक दिन पार कर चुका है। 20 जनवरी 2020 को शान्ति बाग में सीएए और एनआरसी के खिलाफ चल रहे महिलाओं के अनिश्चतकालीन धरने में भाग लेने के लिए भाकपा की राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर पहंुची और उन्होंने शान्ति बाग में संविधान मोर्चे के बैनर तले चल रहे धरने को संबोधित करते हुए देश के अल्पसंख्यकों और धरनाधारियों के साथ एकजुटता का इजहार किया। उनके अलावा एआईवायएफ के अध्यक्ष आफताब आलम भी इस मौके पर मौजूद थे। इस मौके पर पूर्व मंत्री और राजद नेता कांति सिंह और पूर्व उप सभापति परवेत सलीम ने भी सीएए कानून को सांपद्रायिकता बढ़ाने वाला और देश विरोधी बताया।
नवादा
सीएए और एनआरसी के खिलाफ जहां देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं तो वहीं नवादा के बुंदेल बाग में भी सीएए के विरोध में धरने की शुरूआत हुई है। इस धरने में शामिल होने के लिए नवादा के अकबरपुर से बडी संख्या में लोग 18 किलो मीटर का मार्च करके बुंदेल बाग के धरने में शामिल होने के लिए पहंुचे।
अररिया
देश में सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ चल रहे आंदोलन के तहत अररिया में बीते सात जनवरी से धरना दिया जा रहा है। हम हैं भारत के बैनर तले यह धरना कार्यक्रम पहले शहर के चांदनी चैक स्थित कारगिल पार्क में चल रहा था लेकिन प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद अब सोमवार से यह धरना टाउन हाॅल के पीछे चल रहा है।
इसके अलावे शहर सहित जिले में सीएए के खिलाफ हर दिन रैली, सभा, गोष्ठियों का सिलसिला चलता रहा है। हम हैं भारत के समन्वयक जाहिद अनवर ने कहा कि 22 जनवरी तक धरना कार्यक्रम तय है। 22 को कोर्ट का निर्णय आने वाला है। कोर्ट के निर्णय सीएए को निरस्त करने का नहीं आने पर आगे भी धरना जारी रहेगा। एनपीआर, एनआरसी व सीएए विरोधी संघर्ष मोर्चा व अररिया महिला नागरिक मंच संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है।
रक्सौल, बिहार
सीएए, एनपीआर व एनआरसी का विरोध में जमीयतूल उलमा ए हिंद तथा संविधान बचाओ मोर्चा के सदस्यों ने लक्ष्मीपुर स्थित मुख्य पथ के समीप बैठ कर शुक्रवार से अनिश्चित कालीन धरना-प्रदर्शन की शुरुआत की। धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे पूर्व प्रमुख असलम ने कहा कि यह कानून देश हित में नहीं है। सरकार इस कानून को जल्दी बाजी में लाया है।
शान्ति बाग के अलावा पटना के सब्जी बाग, यजिसे संबोधित करने भाकपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यकन्हैया कुमार और उनके अलावा भाकपा के कईं नेता पहंुचेद्ध बेगूसराय, नवादा, किशनगंज के बहादुरगंज और गोपालगंज में धरने पर महिलाएं और पुरूष जमे हुए हैं। बिहार से आने वाली खबरों में यहां तक बताया जा रहा है कि बिहार के लगभग हर जिले में इस तरह के प्रतिरोध धरने शुरू हो चुके हैं यहां तक कि कईं जिलों में तो एक से ज्यादा धरने शुरू हुए हैं।
कौंधवा का कौसरबाग, पुणे
10 जनवरी से कुल जमाते तंजीम के बैनर के नीचे 2000 से अधिक महिलाओं ने एकत्र होकर इस विरोध धरने और प्रदर्शन की शुरूआत की। रोजना 2 हजार से अधिक महिलाएं इस धरने विरोध में शामिल होती हैं। यहां पर मुम्बई फिल्म उद्योग से जुडे हुए लोग विशेषकर अभिनेत्री स्वरा भास्कर आकर प्रदर्शन में शामिल महिलाअें के साथ अपनी एकजुटता का इजहार कर चुकी हैं। इस धरने के आयोजनकर्ताओं में से एक डाॅ. अमना रहमान ने बताया कि मोदी सरकार के आने के बाद जिस तरह से बीफ के नम पर मोब लिंचिंग की घटनाओं में इजाफा हुआ था और एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया जा रहा था तो तब हम इसलिए चुप थे कि हमने समझा था कि यह एक समुदाय विशेष का ही मामला है परंतु अबकी बार सीएए के नाम पर सरकार ने संविधान पर चोट की है तो अबकी बार चुप रहना मुश्किल था। इसीलिए हम सड़कों पर उतरे और कहा कि ऐसा नही होने देंगे।
अपनी तीन महीने की बेटी के साथ धरने में शामिल अफीदा सैयद ने कहा कि हम इसलिए घर में नही बैठ सकते थे कि हमारे बच्चे छोटे हैं। आज हम चुप बैठे तो कल इन बच्चों के भविष्य का क्या होगा, आखिर यह हामरे बच्चों के भविष्य की लड़ाई है और हम भारत के नगारिक होने के नाते भारतीय होने के नाते इसे लडेंगे। दो हजार महिलाओं के अलावा इतनी ही संख्या में पुरूष भी इस मौके पर मौजूद थे और रात के समय भी भारी संख्या में पुरूष महिलाओं की हिफाजत के लिए भारी तादाद में मौजूद रहते हैं।
मुम्बई शाहीन बाग
दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर मुम्बई में भी 20 जनवरी से धरने प्रदर्शन का दौर शुरू हुआ है। अभी पुलिस ने 3 दिन के धरने को इजाजत दी है परंतु आयोजनकर्ताओं के कहना है कि धरना अनिश्चितकाल के लिए चलेगा और बाद में इसे भिवंडी में चलाया जा सकता है। धरने में शामिल धरनाधारियों का कहना है कि यह धरना शाहीन बाग के आंदोलन के प्रेरित होकर शुरू किया गया है और जब तक सरकार सीएए कानून वापस नही ले लती है तब तक यह प्रतिरोध जारी रहेगा। धरने में शामिल लोग सीएए, एनआरसी और एनपीआर का विरोध कर रहे हैं।
घंटाघर, लखनऊ
कईं दिनों से आंदोलनरत महिलाओं पर योगी पुलिस ने कईं तरह से कहर बरपाने की कोशिशें की है। यहां का नजारा देखकर कोई भी इंसान शर्मसार हो जायेगा। उत्तर प्रदेश के योगी की पुलिस ने मानवता को तार तार करते हुए घंटाघर पर रात गुजार रहीं प्रदर्शनकारी महिलाओं से कंबल और खाने का सामान तक छीन लिया और रात में जल रहे अलाव में पानी डाल दिया। इससे पहले रविवार को यहां धरने पर बैठी बच्चियों ने पुलिसकर्मियों को फूल देकर उनका सहयोग मांगा। हाथों में गुलाब लेकर बच्चियां... पुलिस हमसे बात करो, न कि घूसा लात करो का नारा लगा रही थीं। बीती रात पुलिस द्वारा कंबल छीन अलाव में पानी डालने को लेकर महिला प्रदर्शनकारियों ने कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस उनकी आवाज को दबाने के लिए तरह-तरह से जुल्म कर रही है। पार्क में बने शौचालय में ताला डालने के बाद पुलिस प्रदर्शनकारियों से उनके कंबल छीन रही है। इसके अलावा खाना देने वाले उनके लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर धमका रही है।
जेल से छूटे रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शोएब भी प्रदर्शनकारी महिलाओं के समर्थन में घंटाघर पार्क पहुंचे। प्रदर्शन में शामिल सुमैया राना व इरम रिजवी ने बीती रात पुलिस की बर्बरता पर कड़ा एतराज जताया। उन्होंने कहा कि पुलिस शांतिपूर्ण धरने को हिंसात्मक बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने पुलिस पर प्रदर्शनकारी महिलाओं के साथ अभद्रता करने का भी आरोप लगाया। वहीं, पुलिस ने सभी आरोपों को खारिज किया है। पूर्व आइपीएस दारापुरी समेत सदफ जाफरी और कई बड़े एक्टिविस्ट भी इस मुहिम में शामिल हो गए हैं।
इलाहाबाद
हर शहर में उगते प्रतिरोध के बीच इलाहाबाद ने भी विरोध के सुरो में अपनी आवाज मिलायी है। सैंकडों औरते आदमी यहां के विरोध की कमान संभाले हुए हैं। औरते दिनभर और रात भर धरने में शामिल होती हैं सुबह उषा काल में अपने घर जाती हैं अपने रोजमर्रा के काम मसलन कि घर का खाना बनाना बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करके स्कूल भेजना और घर के दूसरे जरूरी काम काज निपटाकर फिर से विरोध की आवाज बुलंद करने के लिए लौट आती हैं। पांच साल के अपने बच्चे को गोद में थामे राशिदा कहती हैं कि जब दिल्ली की कडकडाती ठंड में शाहीन बाग की औरते यह हौसला दिखा सकती हैं तो हम क्यों नही। रौशनबाग की रूबीना कहती हैं कि यह विरोध किसी पार्टी, किसी सरकार के खिलाफ नही है यह भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने पर हमले के खिलाफ और देश और संविधान के धर्मनिरपेक्ष वजूद को बचाने के लिए लडाई है। उन्होंने कहा कि यह हमारे आत्म सम्मान की भी लड़ाई हम खुद को भारतीय सि( करने के लिए कागज क्यों दिखायेंगे। हम यहां सदियों से रहते आये हैं, हम डिटेंशन सेंटरों में क्यों भेजे जायेंगे। इन सवालों से हमने अपनी नींद गंवा दी है कोई हमारे सवालों का जवाब देने को तैयार नही है।
गोमती नगर, यूपी
नागरिकता संशोधन कानून यसीएएद्ध और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यएनआरसीद्ध के खिलाफ एक ओर लगातार चैथे दिन घंटाघर पर महिलाएं बैठी हुई हैं वहीं दूसरी ओर गोमतीनगर में भी प्रदर्शन शुरू हो गया है। देर शाम गोमतीनगर के उजरियांव स्थित गंज शहीदां कब्रिस्तान के पास महिलाओं का जमावड़ा शुरू हो गया। जैसे ही इसकी भनक पुलिस को लगी उन्होंने महिलाओं को वहां से उठने को कहा, लेकिन वे नहीं मानीं। उनका धरना अभी तक भी चालू है।
अलीगढ़
अलीगढ़ में स्थानीय पुलिस ने 60-70 महिलाओं पर सीएए के खिलाफ धरने का आयोजन करने पर एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने यह एफआईआर अज्ञात महिलाओं के खिलाफ की है और कहा है कि उनका धरना, प्रतिरोध धारा 144 का उल्लंघन है और इसीलिए उन पर एफआईआर की गयी है।
देवबंद, सहानपुर
सीएए, संभावित एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन की कड़ी में 19 जनवरी रविवार को भी देवबंद के ईदगाह मैदान में धरना प्रदर्शन आयोजित हुआ। इस बार के धरना प्रदर्शन की खास बात यह रही कि इसमें बड़ी संख्या में पहुंचे पुरुषों के साथ महिलाएं भी शामिल रहीं।
महिलाएं सरकार विरोधी नारेबाजी के बीच हाथ में तिरंगे और सीएए विरोधी नारे लिखी तख्तियां लेकर ईदगाह मैदान पहुंचीं। धरने को जमीयत पदाधिकारियों के अलावा जामिया मिल्लिया और जेएनयू के कई छात्रों ने भी सम्बोधित किया। सुरक्षा के लिहाज से धरनास्थल के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात रही।
आजाद इंटर काॅलेज, बरेली
नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और एनआरपी के खिलाफ बारादरी थाना क्षेत्र के आजाद इंटर काॅलेज में बुधवार रात अचानक 300 से 400 लोगों की भीड़ जमा हो गई। हाथों में तिरंगा लिए भीड़ ने आजादी के नारे लगाने शुरू कर दिए। सूचना पर मौके पर भारी पुलिस फोर्स पहुंच गयी। पूरे क्षेत्र में आएएफ के जवानों को तैनात कर दिया गया है। फोर्स तैनात किए जाने के बाद भीड़ वही धरने पर बैठ गई है।
धरने पर बैठी भीड़ ने मौके पर तंबू लगाना शुरू कर दिए हैं। इसके अलावा ठंड से बचने के लिए कई जगहों पर अलाव भी जलाए गए हैं। इसके ईद-गिर्द बैठकर लोग आजादी के नारे लगा रहे हैं। चूंकि, मैदान में काफी अंधेरा था इसलिए वहां पर लाइटें लगाकर रोशनी का इंतजाम भी किया गया है। इससे पहले तक अंधेरा होने के कारण काफी अफरा-तफरा का माहौल बना हुआ था।
सर्कस पार्क कोलकत्ता
कोलकत्ता के सर्कस पार्क में 7 जनवरी से महिलाओं के नेतृत्व में सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रतिरोध धरने की शुरूआत हुई। सैंकडों औरतें, बच्चे आदमी हाथों में सीएए के विरोध में लिखे नारे और प्लेकार्डस हाथों में लिए सर्कस पार्क में आकर जम गये और शाहीन बाग की तर्ज पर विरोध की शुरूआत कर दी। कलकत्ता में रहने वाले प्रोफेसर नौशुद्दीन बाबा खान ने कहा कि ये औरते, ये लेाग कौन हैं, ये स्लम बस्तियों और आसपास के इलाकों में रहने वाले गरीब लोग हैं। इनके मन में डर है, खौफ है कि ये अपनी नगारिकता गंवा देंगे, या डिटेंशन सेंटर भेज दिये जायेंगे। इसीलिए अपने आने वाले कल के लिए ये यहां आकर टिके हैं।
कोटा, राजस्थान
सीएए, एनआरसी और एनपीआर को वापस लेने की मांग को लेकर कोटा में भी शाहीन बाग की तर्ज पर आंदोलन के लिए शहर के लोग सड़कों पर उतर आये और अनिश्चितकालीन धरने की शुरूआत की। इस मौके पर शहर काजी अनवार अहमद भी धरने को समर्थन देने पहंुचे और जाने माने वकील मोहनलाल राव ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि किसी से नागरिकता सि( करने की बात कहना नागरिक का अपमान करना है।
अल्बर्ट हाॅल, जयपुर
जयपुर का प्रसिद्ध अल्बर्ट हाॅल शहीन बाग के प्रतिरोध के समर्थन और सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के प्रति एकजुटता का गवाह बन रहा है। यहां रोजाना 5.30 पर शहर के सैंकडों महिला पुरूष एकत्र होकर शाहीन बाग प्रतिरोध के प्रति अपनी एकजुटता जाहिर करने के लिए एकत्र होती है और सीएए के खिलाफ और आजादी के नार लगाते हैं और ठीक 7.30 बजे यह रोजाना का प्रतिरोध समाप्त हो जाता है।
टोलीचौकी हैदराबाद
मिलेनियम मार्च और तिरंगा मार्च के बाद हैदराबाद के टोलीचौकी में हैदराबाद की महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन की शुरूआत की। जहां पर पुलिस ने उन्हें हटाने के लिए बल प्रयोग किया। इस विरोध धरने में समाज के सभी वर्गो की महिलाएं और अन्य लोग भाग ले रहे थे।
दिल्ली के सीलमपुर में जारी धरने को सम्बोधित करती सदफ जफ़र |
देश के विभिन्न राज्यों और शहरों में सीएए और एनआरसी के खिलाफ जबरदस्त जन उभार है। असम के हरेक जिले के विभिन्न गांवों, कस्बों और छोटे शहरों से लेकर राजधानी गोवाहटी तक में सीएए के विरोध की आवाजें साफ सुनाई और दिखाई पडती हैं तो वहीं देश के दूसरे भागों में शाहीन बाग की तर्ज पर सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोधियों के प्रतिरोध धरनों की मानों बाढ़ सी आ गयी है। उपरोक्त वर्णित शाहीन बागों के अलावा आजादी स्क्वेयर कोचीन, खजराना इंदौर, सेंट्रल लाइब्रेरी भोपाल, मलमल मधुबनी बिहार, संविधान चैक नागपुर और औरंगाबाद महाराष्ट्र में भी लोग नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सड़कों पर हैं और हरेक बीतते दिन के साथ इन धरने प्रदर्शनों की तादाद बढ़ती ही जाती है। यदि सरकार का मौजूदा रूख और स्वयं संवेक संघ के स्वयं सेवक गृहमंत्री अमित शाह की जनता को ललकारने वाली और यूपी के मुख्यमंत्री योगी की धमकाने वाली भाषा बनी रहती है तो यह तय है कि आने वाले दिनों में देश के हर शहर में और हर बस्ती में शाहीन बाग होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें